दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आज सुबह 11 बजे कथित शराब नीति घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेशी थी, लेकिन उन्होंने जाने से इंकार कर दिया है. ईडी ने केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए तलब किया था. इसी केस में 6 महीने पहले सीबीआई ने भी केजरीवाल से 9 घंटे तक पूछताछ की थी. तब केजरीवाल से 56 सवाल पूछे गए थे. केजरीवाल ने पूरे मामले को 'मनगढ़ंत' और AAP को खत्म करने का प्रयास बताया था.
इस मामले में इसी साल फरवरी में सीबीआई ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. बाद में 9 मार्च को ईडी ने तिहाड़ जेल में सिसोसिया से पूछताछ की और सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है. ईडी ने 4 अक्टूबर को राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी पूछताछ के बाद जेल भेजा है.
'केजरीवाल की गिरफ्तारी की भी चर्चा थी'
कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अपने गठन के 12 साल बाद पहली बार इतनी बड़ी मुश्किलों और संकट का सामना कर रही है. चर्चा यह भी है कि जांच एजेंसी ने केजरीवाल को तलब करने से पहले सबूतों को इकट्ठा किया है. संभावना जताई जा रही थी कि सवालों के जवाब नहीं मिलने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती है. ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलुओं पर जांच कर रही है.
आइए जानते हैं मुनाफे के लिए बनाई गई दिल्ली शराब नीति कैसे कमीशनबाजी के खेल का शिकार हो गई. कैसे पूरा स्कैम हुआ और घपले के पीछे कमीशनबाजी का गुणा-भाग कैसे किया गया. सवाल-जवाब में जानिए सब-कुछ...
क्या है पूरा मामला?
22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई. नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी.
नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी. हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी. मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई. उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए.
घपले का आरोप किस-किस पर है?
इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय AAP नेता और उनके करीबी और कारोबारियों से पूछताछ कर चुकी है. 11 दिसंबर 2022 को सीबीआई ने तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी के कविता से भी पूछताछ की थी. सितंबर 2022 में ED ने शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. सितंबर 2022 में CBI ने विजय नायर को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली का भी चार्जशीट में नाम शामिल है. 16 अप्रैल 2023 को CBI ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था. 9 मार्च को ईडी ने पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सितंबर 2023 में CBI ने पंजाब के 10 अफसरों को बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया था. ईडी की चार्जशीट में राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का भी जिक्र हो चुका है. पंजाब से AAP विधायक कुलवंत सिंह का नाम भी इस स्कैम से जुड़ा है.
मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी क्यों हुई?
सीबीआई ने 27 फरवरी 2023 को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. उसके बाद ईडी ने भी कोर्ट की अनुमति से 10 मार्च को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. वो ईडी और सीबीआई दोनों की जांच के दायरे में हैं. सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आरोप लगाए हैं. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया है. ईडी ने 4 अक्टूबर को राज्यसभा सांसद संजय सिंह के आवास पर छापा मारा. बाद में संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया. AAP के दोनों बड़े नेता जेल की सलाखों के पीछे हैं. तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसियों ने 338 करोड़ रुपये के लेन-देन को अस्थायी रूप से साबित किया है.
सिसोदिया पर क्या बड़े आरोप?
दरअसल, सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी विभाग के मंत्री के तौर पर शराब नीति को लेकर मनमाने और गलत फैसले लिए. शराब लाइसेंस लेने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने की चिंता नहीं की, जिससे सरकार को नुकसान पहुंचा. इसके अलावा, शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत भी ली. बिजनसमैन अमित अरोड़ा से करीब 2.2 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली.लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली एक कंपनी को जब एनओसी नहीं मिली तो नियमों के खिलाफ जाकर उसके 30 करोड़ रुपये लौटाए गए.कोरोनाकाल में शराब दुकानें बंद रहीं तो लिक्वर कंपनीज को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी गई. सिसोदिया ने सुबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले. इनमें 5 सिम कार्ड ने सिसोदिया के नाम पर ही लिए गए थे. बाकी सिम दूसरों के नाम पर जारी करवाए गए थे.
संजय सिंह पर क्या बड़े आरोप?
सिसोदिया के करीबी और कारोबारी दिनेश अरोड़ा ने राज्यसभा सांसद संजय सिंह का नाम लिया. पूछताछ में अरोड़ा ने बताया कि AAP के लिए फंड जुटाने के एक कार्यक्रम में उसकी संजय सिंह से मुलाकात हुई थी. उसके बाद वो मनीष सिसोदिया के संपर्क में आया. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा को AAP के लिए फंड जुटाने की जिम्मेदारी दी. उसने कई रेस्टोरेंट मालिकों से बात की. चंदे के नाम पर मनीष सिसोदिया को 32 लाख रुपये का चेक दिया. बाद में दिनेश अरोड़ा इस मामले में सरकारी गवाह बन गया. ईडी ने चार्जशीट में इसी साल जनवरी में संजय सिंह का नाम जोड़ा था.
पुरानी और नई नीति में क्या-क्या बदलाव किए गए?
पुरानी नीति के तहत दिल्ली में 60% सरकारी और 40% प्राइवेट थीं. जबकि नई शराब नीति लागू होने के बाद 100% दुकानें प्राइवेट हो गईं. नई नीति के तहत एल-1 लाइसेंस फीस 25 लाख की जगह 5 करोड़ कर दी गई. इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं. जबकि बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला.
सरकार का घाटा, कैसे बना AAP का फायदा?
- 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की. इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए.
- हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं.
- नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं.
- नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं. सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा. सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी.
- जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े.
- इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा खुदरा बिक्री में भी सरकार को भारी घाटा होने लगा, जबकि रिटेल कारोबारियों को जबर्दस्त मुनाफा होने लगा.
- जांच एजेंसियों के मुताबिक, नई पॉलिसी के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया. इसके अलावा, लाइसेंस नियमों से लेकर अन्य प्रोसेस में भी ढेर सारी छूट दे दी. सूत्र कहते हैं कि डीलर का जो 7 प्रतिशत कमीशन बढ़ाया गया था, उसके पीछे सरकार का एक हिडिन प्लान था.
- नई पॉलिसी में डीलर का कमीशन बढ़ाने और नियमों में ढील दिए जाने के बाद सरकार को सबसे बड़ा झटका राजस्व का लगा. रेवेन्यू घटकर सिर्फ 2-3 करोड़ रुपए हो गया.
- जबकि बढ़ाए गए कमीशन के पैसे का हिस्सा AAP से जुड़े नेताओं तक पहुंचने लगा. इसका सीधा फायदा नेताओं को मिला. इतना ही नहीं, शराब के दाम भी बढ़ा दिए गए.
कमीशनबाजी में कैसे हुआ कथित मुनाफे का खेल...
- इस मामले में सीबीआई और ईडी जांच कर रही है. दोनों एजेंसियों का आरोप है कि एक्साइज पॉलिसी को संशोधित करते समय गड़बड़ी की गई. लाइसेंसधारकों को गलत तरीके से लाभ दिया गया. लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया. शराब लाइसेंस देने में अयोग्य लोगों को लाभ मिला.
- इस पॉलिसी से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. AAP सरकार का कहना था कि कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए लाइसेंस फीस माफ की गई.
- कथित तौर पर एलजी और कैबिनेट की मंजूरी लिए बगैर ही शराब नीति में अहम बदलाव किए दिए.
- आरोप लगा कि एयरपोर्ट जोन में लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ वापस कर दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी, क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी थी.
- एक्साइज डिपार्टमेंट ने बिना किसी मंजूरी के विदेशी शराब की कीमतें तय करने का फॉर्मूला संशोधित किया और बीयर पर 50 रुपये प्रति केस की एक्साइज ड्यूटी लेवी हटा दी.
- आरोप यहीं खत्म नहीं हुए. आबकारी मंत्री सिसोदिया ने बिना किसी मंजूरी के एक्साइज पॉलिसी को दो बार- 1 अप्रैल से 31 मई और 1 जून से 31 जुलाई तक बढ़ा दिया. चार्जशीट में कहा गया कि कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी शराब और बियर पर 50 रुपये प्रति केस की छूट दी गई.
- जांच एजेंसियों का कहना है कि नई एक्साइज पॉलिसी से सरकार को तगड़ा घाटा हुआ है. जबकि AAP के नेताओं को सीधा फायदा पहुंचा है. सरकार से जुड़े लोगों ने जो नियमों में ढील दी, उसका फायदा रिटेल कारोबारियों से लिया.
- रिटेल कारोबारियों का जो मुनाफा बढ़ाया गया था, उसके बदले में मोटा कमीशन देना तय किया गया. जिसकी राशि 300 करोड़ से भी ज्यादा होने का आरोप चार्जशीट में लगाया गया है.
- दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को यह पॉलिसी लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया गया.
क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी की संभावना है?
जानकारों का कहना है कि दिल्ली शराब नीति मामले में जिस तरह से जांच एजेंसियां एक्टिव हैं और धड़ाधड़ कार्रवाई कर रही हैं, उससे अटकलों से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस मामले में जांच एजेंसी ने पहले कथित स्कैम से जुड़े लोगों के नाम खंगाले. उनका कनेक्शन पता किया और सबूत जुटाए. उसके बाद बड़े नेताओं के खिलाफ एक्शन की तैयारी की गई. पहले दिग्गजों के नाम एफआईआर दर्ज की गई. फिर उनके नामों का जिक्र चार्जशीट में भी किया गया. बाद में मनीष सिसोदिया, विजय नायर और संजय सिंह जैसे दिग्गजों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया. अब जांच की आंच सीएम केजरीवाल तक भी पहुंच गई है. पिछले कुछ दिन से सीएम केजरीवाल ने भी इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया. बुधवार को केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन अपने समन के बारे में बात नहीं की. उधर, केंद्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही हैं. किसी तरह का कोई दबाव नहीं है. अगर किसी को आपत्ति है या गड़बड़ लगता है तो उसके लिए कोर्ट के दरवाजे खुले हैं.
केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो कौन होगा सीएम पद का दावेदार?
आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल ही हैं. पार्टी में दूसरे चेहरे मनीष सिसोदिया, संजय सिंह जेल में हैं. सत्येंद्र जैन हाल ही में जमानत पर जेल से बाहर आए हैं. पार्टी में इस समय गोपाल राय, आतिशी सिंह, सौरभ भारद्वाज, राघव चड्ढा जैसे बड़े नाम हैं. इसके अलावा, पिछले कुछ दिन से सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय देखी गईं. वे सीएम केजरीवाल के साथ 4 अक्टूबर को संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके घर पहुंची थीं. हालांकि, यह पार्टी नेतृत्व ही करेगा कि संगठन और सरकार की जिम्मेदारी कौन संभालेगा.
NDA, INDIA का की तरफ से कौन क्या कह रहा है?
सीबीआई के बाद ईडी की तरफ से केजरीवाल को समन मिलने पर आम आदमी पार्टी पूरी तरह मुखर देखी जा रही है. AAP खुद दावा कर रही है कि केजरीवाल को गिरफ्तार किया जा सकता है. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने दावा किया कि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि केजरीवाल को 2 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. आतिशी ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी का मकसद आम आदमी पार्टी को खत्म करना है.
राघव चड्ढा ने बताया किस-किसकी होगी गिरफ्तारी?
AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, बीजेपी अरविंद केजरीवाल को जेल में डालकर दिल्ली की 7 सीटें अपनी जेब में रखना चाहती है. उन्होंने कहा, अब अगला नंबर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का होगा. उसके बाद बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अरेस्ट किया जाएगा. ये सिलसिला यहीं नहीं थमेगा. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की गिरफ्तारी होगी. फिर केरल में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन अरेस्ट होंगे. तमिलनाडु में स्टालिन की गिरफ्तारी होगी. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के दल के नेताओं की गिरफ्तारी होगी. इन राज्यों में टॉप नेताओं की गिरफ्तारी कर बीजेपी लोकसभा की सीटें जीतना चाहती है.
'कितनों को नोटिस दिया जाएगा?'
इस मामले में कांग्रेस पूरी तरह साइलेंट मोड में देखी जा रही है. अब तक किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया है. वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, बीजेपी हार देखकर घबरा गई है. देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोग बीजेपी के खिलाफ हैं. कितनों को नोटिस दिया जाएगा. सरकारें गलत फैसले भी लेती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कैबिनेट पॉलिसी को लेकर कार्रवाई की जाए.
जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, महुआ मोइत्रा और अब अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाना 2024 के चुनावों को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी की घबराहट का संकेत है. शायद बीजेपी का शातिर सांप्रदायिक प्रचार अब काम नहीं करेगा, यही कारण है कि वे मनगढ़ंत आरोपों पर अधिकांश विपक्षी नेताओं को सलाखों के पीछे डाल रहे हैं.
अगले चुनावों और आप के भविष्य पर इसका क्या प्रभाव होगा?
देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. आम आदमी पार्टी इन सभी राज्यों में चुनावी मैदान में है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में केजरीवाल खुद लंबे से संगठन से लेकर पार्टी की रणनीतियों पर बात कर रहे हैं. चुनावी घोषणा से पहले रैलियां कीं और कांग्रेस-बीजेपी पर हमलावर रहे. कांग्रेस के साथ I.N.D.I.A के सहयोगी होने के बावजूद इन राज्यों में केजरीवाल की पार्टी पूरे दमखम से चुनावी लड़ाई लड़ रही है. यही वजह है कि केजरीवाल को समन मिलने के बाद कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. कुछ महीने बाद 2024 का आम चुनाव है. आप को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने में एकराय नहीं बन पा रही है. कई बड़े नेताओं ने विरोध किया है. ऐसे में एडजस्ट होने को लेकर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे हैं.
वहीं, अरविंद केजरीवाल को लेकर कहा जाता है कि वे ज्यादातर अलग राह पकड़ कर ही राजनीति करते आए हैं. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान और विपक्ष की अन्य पार्टियों के अंदर भी कहीं ना कहीं अंदेशा है. जानकार कहते हैं कि कथित दिल्ली शराब घोटाले से आम आदमी पार्टी की छवि डैमेज हुई है और केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य दूसरे नेता भी कमजोर पड़े हैं. वहीं, बीजेपी नेतृत्व इस बात से बेफिक्र है कि केजरीवाल या उनके जैसे किसी भी नेता को गिरफ्तार किए जाने से जो सहानुभूति मिलेगी, उसका पार्टी को कोई खास नुकसान होगा.