दिल्ली के गिरफ्तार उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने आबकारी नीति घोटाले में प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में चित्रित किया है. देश की शीर्ष जांच एजेंसी द्वारा रविवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है. जहां तक सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का संबंध है, आप और भाजपा के बीच इसको लेकर वार-पलटवार जारी है. लेकिन राजनीति से ज्यादा अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली सरकार में उनकी जगह को भरना एक कठिन चुनौती होगी. सिसोदिया अकेले ही 18 प्रमुख विभागों को देख रहे हैं, जबकि अन्य चार मंत्री 14 विभागों की देखरेख कर रहे हैं. आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करना सबसे महत्वपूर्ण और तात्कालिक चुनौतियों में से एक होगा. कारण, सिसोदिया ने 2015 के बाद से अरविंद केजरीवाल सरकार के लगातार 8 बजट पेश किए हैं.
दरअसल, दिल्ली का बजट अहम है और सिसोदिया की छाप पिछले 8 सालों से हर जगह देखी जा सकती है. 2015 में केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद से मनीष सिसोदिया को एक ऐसा बजट लाने की चुनौती दी गई थी जो केजरीवाल के दिल्ली मॉडल की नींव रखे. सिसोदिया ने किया भी ऐसा ही. उन्होंने एक ऐसा बजट पेश किया जो शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों पर केंद्रित था. सिसोदिया ने इन दोनों विभागों को ऐतिहासिक बजट देने के अलावा फ्री सेवाएं देने के लिए भी अलग से प्रबंध किया.
मुफ्त बिजली और पानी के साथ-साथ महिलाओं के लिए मुफ्त बस की सवारी लोकप्रिय योजनाएं बन गईं और यही AAP के लिए एक मजबूत वोट बैंक का कारण बना. बजट केवल सब्सिडी के बारे में नहीं थे, बल्कि इस दौरान राजस्व सृजन में भी काफी वृद्धि हुई. 2021 में सिसोदिया ने ग्रीन बजट पेश किया था जबकि 2022 में उनका विजन विभिन्न योजनाओं के जरिए रोजगार पैदा करना था. हालांकि उन्होंने इस साल के बजट को तैयार करने के लिए बैठकें की हैं और उनकी अनुपस्थिति में इसे अंतिम रूप देना एक चुनौती होगी.
दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर पड़ेगा असर?
मनीष सिसोदिया कई महत्वपूर्ण विभाग देख रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग उनका पसंदीदा रहा है. शिक्षा विभाग से जुड़ी योजनाएं मुख्य रूप से उनके दिमाग की उपज हैं, जिन्हें अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा उनके मार्गदर्शन में क्रियान्वित किया जा रहा है. कई नई योजनाएं जैसे उत्कृष्ट विद्यालय, सरकारी विद्यालयों के लिए पेरेंट्स-टीचर मीटिंग, बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए बुनियाद योजना इनमें शामिल हैं. कहीं न कहीं अब शिक्षा विभाग को इससे धक्का लगेगा, क्योंकि सिसोदिया का मार्गदर्शन शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सत्र तैयार करने और यहां तक कि सरकारी स्कूलों में नए बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था.
G-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी पर पड़ेगा असर?
राजधानी में लगभग 1200 किलोमीटर सड़कों की देखरेख पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा की जाती है. अधिकांश सड़कों का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि ये सड़कें 60 फीट से अधिक चौड़ी हैं और दिल्ली के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ती हैं. ऐसे समय में जब दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण कार्य काफी महत्वपूर्ण हैं. आश्रम फ्लाईओवर जैसे कई हिस्से निर्माणाधीन हैं और इन परियोजनाओं में देरी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन की तैयारियों को खतरे में डाल सकती है.
यूडी विभाग दिल्ली के प्रमुख विभागों में से एक है, जो पूरी दिल्ली में फैली अनधिकृत कॉलोनियों में किए जा रहे कार्यों की देखरेख करता है. एक अनुमान के अनुसार दिल्ली की 60% से अधिक आबादी इन कॉलोनियों में रहती है. इन कॉलोनियों के अलावा स्लम पुनर्वास और पुनर्विकास का काम भी विभाग द्वारा किया जा रहा है, जो जी-20 बैठक से पहले महत्वपूर्ण होगा. यहां तक कि यमुना की सफाई परियोजनाओं को भी विभाग द्वारा कम प्रदूषित बनाने के लिए अपने हाथों में लिया जा रहा है.
सत्येंद्र जैन के विभागों को देखते थे सिसोदिया
मई 2022 में सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद सारे विभाग मनीष सिसोदिया को सौंप दिए गए थे. स्वास्थ्य और गृह विभाग महत्वपूर्ण थे, क्योंकि ये प्रमुख परियोजनाओं और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से संबंधित हैं. मोहल्ला क्लिनिक परियोजना अरविंद केजरीवाल की प्रमुख योजनाओं में से एक है. इस परियोजना की कल्पना सत्येंद्र जैन ने की थी और बाद में इसे सिसोदिया को सौंप दिया था. कई नई अस्पतालों की परियोजनाएं भी पाइपलाइन में हैं और राजधानी के लिए कोविड के बाद काफी महत्वपूर्ण हैं. कई अस्पतालों में भी बिस्तर क्षमता की संख्या बढ़ाने के लिए भी काम किए जा रहे हैं. जैन की अध्यक्षता वाला गृह विभाग भी अब सिसोदिया की देखरेख में था, जो दिल्ली पुलिस, तिहाड़ जेल और दिल्ली अग्निशमन सेवाओं से संबंधित महत्वपूर्ण मामले देखता है.
सत्येंद्र जैन की तरह मंत्री पद से नहीं हटाए जाएंगे सिसोदिया?
ऐसे में मनीष सिसोदिया की गैरमौजूदगी में इन विभागों के कामकाज की देखरेख का जिम्मा केजरीवाल के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. हालांकि पूरी संभावना है कि उन्हें सत्येंद्र जैन की तरह मंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा. वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए अपने बचे चार मंत्रियों में से 18 विभागों का फिर से आवंटन करना भी काफी चुनौती भरा होगा. सेहत के मद्देनजर गोपाल राय को कई विभागों की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती है, खासकर उन विभागों की, जिनमें यात्रा और भाग-दौड़ की आवश्यकता होती है.
कैलाश गहलोत भी डीटीसी बस खरीद मामले में जांच का सामना कर रहे हैं और भविष्य में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. अन्य दो, इमरान हुसैन और राजकुमार आनंद अपेक्षाकृत अनुभवहीन हैं और उन्होंने अब तक कोई बड़ा विभाग नहीं संभाला है. ऐसे में अगर मनीष सिसोदिया को जल्द कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो अरविंद केजरीवाल के लिए इन विभागों को चलाना बड़ी चुनौती होगी.