उत्तरकाशी टनल हादसे के 17 दिन बाद 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनर्स की मेहनत को खूब सराहा जा रहा है. इन रैट माइनर्स को प्राइवेट कंपनी ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज की ओर से बुलाया गया था. दिल्ली के खजूरी खास इलाके में कुछ रैट माइनर्स के परिवार रहते हैं. आजतक ने इन परिवारों से बातचीत की है.
बता दें कि दिवाली की सुबह यानी 12 नवंबर को उत्तरकाशी में लैंडस्लाइड की वजह से सुरंग में काम करने वाले 41 मजदूर अंदर फंस गए थे. इन मजदूरों को निकालने के लिए 17 दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन में एक समय ऐसा भी आया, जब सारी मशीनें फेल हो गईं थीं. लेकिन, चट्टान को चीरने में मानव का साहस काम आया है. कुल 12 रैट माइनर्स की टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर 41 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया है.
'12 दिन पहले बच्चों का अकेला छोड़ गए थे मुन्ना'
6 रैट माइनर्स दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहते हैं. जबकि 6 यूपी के रहने वाले हैं. आजतक ने आरिफ मुन्ना के परिवार के सदस्य से बात की. परिजन बताते हैं कि आरिफ मुन्ना 12 दिन पहले सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए गए थे. वे घर में अपने तीन बच्चों को अकेला छोड़ गए थे. इस दरम्यान आरिफ मुन्ना के भाई ने बच्चों की देखभाल की है. दरअसल, आरिफ ने कोरोना महामारी के बीच अपनी पत्नी को खो दिया था. स्थानीय लोग बताते हैं कि मुन्ना मददगार स्वभाव के हैं. उन्होंने पहले भी कई लोगों की जान बचाई है.
'सुरंग बनाने में माहिर हैं रैट माइनर्स'
बताते चलें कि रैट माइनर्स में शामिल लोग पाइपलाइन मजदूर हैं और दिल्ली जल बोर्ड और गैस का काम करते हैं. इसलिए ये जमीन के अंदर सुरंग बनाने में माहिर माने जाते हैं. आजतक ने नसीम के परिजन से भी बात की है. नसीम जिस दिन रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा बनने गए थे, उस दिन उनके घर में दो बहनों की शादी थी. लेकिन, सामने फर्ज आया तो घर छोड़कर चले गए थे. परिवार वाले इस बात से खुश हैं कि उनका बेटा हीरो बन गया है.
'सभी गरीब परिवार से आते हैं'
परिवार वाले कहते हैं कि सभी 6 लोग एकसाथ काम करते हैं. रिस्की काम करने में हिचकिचाते भी नहीं हैं. टनल से जुड़े ही काम करते आ रहे हैं. सारे लोग गरीब घर से आते हैं. इन सभी के पास कंपनी का फोन आया था. मुन्ना अपने खर्चे पर सबको ले जाने के लिए तैयार था. इन लोगों का कहना था कि हमारी वजह से किसी की जान बच रही है तो इससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी.
'जान बचाकर अच्छा काम किया है'
मुन्ना के चाचा कहते हैं कह हमें बहुत खुशी है. हमारे घर में सभी लोग खुश है. लोगों की जान बचाकर अच्छा काम किया है. मुन्ना के बेटे ने कहा, मैं बहुत खुश हूं. मेरे पापा ने 41 लोगों की जान बचाई है.
'एक दिन पहले घर में शादी हुई थी'
नसीम के भाई ने यह भी बताया कि वे कौन से उपकरण का उपयोग करते हैं. भाई ने कहा, हमारा औजार खुदाई करने वाले होते हैं. कुदाल से खुदाई होती है और फावड़ा-तसला से मिट्टी निकालते हैं. राशिद ने नसीम को फोन किया था. एक दिन पहले घर में शादी थी. पहले बहनों की विदाई हुई. फिर शाम को घर से निकलना हुआ. बहुत प्राउड फील हो रहा है. देशवासी खुश हैं, इससे ज्यादा खुशी क्या होगी. देश की खुशी में सबकी खुशी है.
'फोन आते ही चले गए थे बच्चे'
नसीम की मां ने कहा, हमें बहुत खुशी है. हमारे बच्चे आ गए हैं. खतरे से बाहर निकल गए. देश के बच्चों की जान बचाई है. हमारे बच्चों ने कुछ खाया-पीया नहीं था. फोन सुनते ही चले गए थे.
'सबकी मदद के लिए रहते हैं तैयार'
इरशाद के परिवार ने कहा, हमारे भाई ने घर में कुछ भी नहीं देखा. बच्चों को भी कुछ नहीं बताया. सीधे साइट पर चला गया था. वो सबके लिए मदद करने को तैयार रहता था. घर में बहन की शादी थी. उसे छोड़कर चला गया था.
'हमारे लिए आसान काम, लेकिन...'
परिजन कहते हैं कि पूरी शेफ्टी के साथ काम करते हैं. हेल्मेट, जूते से लेकर वर्दी तक पहनकर काम करते हैं. ऑक्सीजन की कमी आती है तो उसकी व्यवस्था पहले से कर लेते हैं. ये काम हर कोई नहीं कर पाएगा. बिजली का भी खतरा रहता है. हमारे लिए साधारण काम है. अन्य के लिए खतरों से भरा काम है. अभी हम लोग सीवर की लाइन डाल रहे हैं. जमीन की खुदाई और टनल का काम करते रहते हैं.
'24 घंटे में 10 मीटर खुदाई कर डाली'
इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक सदस्य ने बताया कि रैट होल माइनिंग अवैध हो सकता है, लेकिन टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए बचाव अभियान में रैट माइनर्स की प्रतिभा और अनुभव का इस्तेमाल किया गया. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, रैट-होल माइनर्स ने 24 घंटे से भी कम समय में 10 मीटर की खुदाई करके अभूतपूर्व काम किया. बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2014 में मेघालय में रैट-होल माइनिंग तकनीक का उपयोग करके कोयला खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था.