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सरकारी नहीं, 'एलिट स्कूलों' में पढ़ेंगे IAS अफसरों के बच्चे

राजधानी दिल्ली में 'संस्कृति स्कूल' के नाम से इस तरह का पहला स्कूल चल रहा है, जो एक ट्रस्ट की ओर से चलाया जा रहा है. भारत सरकार में कैबिनेट सचिव की पत्नी इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन हैं. इस ट्रस्ट के दूसरे सदस्य या तो सीनियर प्रशासनिक अधिकारी हैं या फिर उनकी पत्नियां.

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दिल्ली में 'संस्कृति स्कूल' के नाम से चल रहा पहला एलिट स्कूल
दिल्ली में 'संस्कृति स्कूल' के नाम से चल रहा पहला एलिट स्कूल

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दिल्ली में आईएएस अधिकारी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए 'आर्मी स्कूल' की तर्ज पर अलग से 'एलिट स्कूल ग्रुप' बनवाना चाहते हैं. दिल्ली की संस्कृति पर आधारित इन स्कूलों में सिर्फ आर्थिक रूप से संपन्न अभिजात्य वर्ग (एलिट क्लास) के बच्चों को ही एडमिशन मिलेगा.

राजधानी दिल्ली में 'संस्कृति स्कूल' के नाम से इस तरह का पहला स्कूल चल रहा है, जो एक ट्रस्ट की ओर से चलाया जा रहा है. भारत सरकार में कैबिनेट सचिव की पत्नी इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन हैं. इस ट्रस्ट के दूसरे सदस्य या तो सीनियर प्रशासनिक अधिकारी हैं या फिर उनकी पत्नियां.

दूसरे राज्यों में भी उठ रही मांग
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DOPT) के ऑफिशियल मेमोरेंडम के मुताबिक, दिल्ली में इस संस्कृति स्कूल की सफलता के बाद देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे स्कूल बनवाने की मांग की जा रही है. डीओपीटी का कहना है कि ऐसे में सरकार को दूसरे राज्यों में भी इस तरह के संस्कृति स्कूल खोलने में मदद और पहल करनी चाहिए.

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इलाहाबाद HC ने दिया था बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते साल एक बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा कि यूपी के सभी जनप्रतिनिधियों, सरकारी अफसरों और कर्मचारियों और जजों को अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों (प्राथमिक विद्यालयों) में पढ़ाना होगा. हाईकोर्ट के मुताबिक, यदि सरकारी कर्मचारियों ने अपने बच्‍चों को कॉन्‍वेंट स्कूलों में पढ़ाया, तो उन्‍हें फीस के बराबर की रकम हर महीने सरकारी खजाने में जमा करानी होगी. हालांकि, बाद में इस फैसले पर रोक लगा दी गई.

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