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जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो इस्तीफा दे दूंगा, सरकार चलाने नहीं आया: अरविंद केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा में जनलोकायुक्त बिल को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार अड़ गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कह दिया है कि बिल पास न होने की सूरत में वह इस्तीफा दे देंगे.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा में जनलोकायुक्त बिल को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार अड़ गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कह दिया है कि बिल पास न होने की सूरत में वह इस्तीफा दे देंगे.

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रविवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'मैं यहां सरकार चलाने नहीं आया. मेरा मकसद जनलोकपाल बिल है. भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सीएम की कुर्सी सौ बार कुर्बान है. स्वराज बिल के लिए हजार बार कुर्बान है. मैं मुख्यमंत्री बनने नहीं आया हूं. मैं भ्रष्टाचार मिटाने आया हूं.'

मुख्यमंत्री ने बताया कि जनलोकपाल और स्वराज बिल 13 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाएगा. 70 सदस्यों की विधानसभा में AAP के फिलहाल 27 विधायक बचे हैं. विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से निकाला जा चुका है. वहीं निर्दलीय विधायक रामवीर शौकीन ने भी दिल्ली सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है. जेडीयू विधायक शोएब इकबाल फिलहाल समर्थन दे रहे हैं, लेकिन उनके तेवर भी तल्ख नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सोमवार को वह राजनीतिक हालात पर उपराज्यपाल से मिलकर चर्चा करेंगे.

इसके बाद केजरीवाल ने AAP की राजनीतिक मामलों की समिति के साथ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से महाराष्ट्र सदन में मुलाकात की. केजरीवाल ने बताया कि अन्ना से जनलोकपाल और स्वराज बिल पर चर्चा हुई औऱ दोनों बिल पर उन्होंने सहमति जताई.  इससे पहले आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक हुई. सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक में तय किया कि जनलोकायुक्त बिल को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा, भले ही सरकार की बलि चढ़ानी पड़े.

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आदेश को वापस लेने पर हो सकता है विचार
हालांकि इससे पहले संकेत मिले थे कि गृह मंत्रालय उस आदेश को वापस लेने पर विचार कर सकता है जिसके मुताबिक, किसी विधेयक को दिल्ली विधानसभा में पेश करने से पहले केंद्र की मंजूरी लेना जरूरी है. अरविंद केजरीवाल ने 12 साल पुराने इस आदेश को वापस लेने की मांग की थी.

अधिकारियों ने कहा कि 2002 के आदेश को बिना कानूनी विचार-विमर्श के रद्द नहीं किया जा सकता और गृह मंत्रालय इस मामले पर कानून मंत्रालय से राय ले सकता है. उन्होंने कहा कि चूंकि आदेश मौजूदा सरकार ने पारित नहीं किया है, इसलिए आदेश के संबंध में कोई भी फैसला करने से पहले कानूनी पहलुओं की जांच-परख की जानी चाहिए.

अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली के मुख्यमंत्री के आग्रह पर निश्चित तौर पर विचार किया जाएगा लेकिन कानूनी सलाह और प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा.' बहरहाल, महाराष्ट्र से दिल्ली लौटने के बाद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे इस बारे में अंतिम फैसला करेंगे.

केजरीवाल ने आदेश को बताया था संविधान के खिलाफ
केजरीवाल ने शिंदे को चिट्ठी लिखकर कहा था कि आदेश को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है. शिंदे को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा, 'यह केवल एक आदेश है. जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ हैं. गृह मंत्रालय के आदेश से दिल्ली विधानसभा के कानून बनाने के अधिकार में कैसे कटौती की जा सकती है. यह काफी गंभीर मुद्दा है.' केजरीवाल ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है, गृह मंत्रालय के आदेश की नहीं, इसलिए वह संविधान का पालन करेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस्तीफा देंगे, केजरीवाल ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के बड़े मुद्दे पर किसी भी हद तक जा सकते हैं.

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गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किए जाने को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार और विपक्षी दलों में खींचातान चल रही है. विपक्षी दल गृह मंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए बिल पेश करने को असंवैधानिक बता रहे हैं.

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