उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना ने चमोली जिले की सामाजिक, आर्थिक स्थिति को हिलाकर रख दिया है. ऋषि गंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह बह गया, NTPC के भी एक पॉवर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ. जनमानस का नुकसान हुआ सो अलग. पर्यटकों में उत्तराखंड को लेकर एक अलग तरह का भय बना हुआ. लेकिन चमोली आपदा का असर सिर्फ उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब इसका असर दिल्ली पर भी पड़ सकता है. रविवार का दिन दिल्ली वालों के लिए मुश्किल भरा रह सकता है.
दरअसल, उत्तराखंड त्रासदी की वजह से दिल्ली को अपर गंगा कैनाल के जरिए भेजे जाने वाले रॉ वॉटर में टर्बिडिटी प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है. इसके मद्देनजर दिल्ली के सोनिया विहार और भागीरथी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में बेहद ही कम क्षमता के साथ पानी ट्रीट हो पा रहा है.
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक साउथ दिल्ली के साथ-साथ ईस्ट दिल्ली और नार्थ ईस्ट दिल्ली में पानी की सप्लाई में दिक्कत आ सकती है. जल बोर्ड ने जरूरत के मुताबिक पानी के टैंकर इन इलाकों में भेजे जाने की तैयारी कर ली है. मलबे, गाद, कीचड़, शैवाल, पौधों के टुकड़े, पिघलने वाले ग्लेशियर, चूरा, लकड़ी की राख या पानी में रसायनों के कारण टर्बिडिटी बढ़ सकती है.
इस कारण दिल्ली जलबोर्ड अपनी तैयारियां पहले से ही कर रहा है लेकिन जल बोर्ड की अपनी सीमाएं हैं. अगर पानी को लेकर लगाई जा रही आशंका सही रही तो चमोली घटना का प्रभाव दिल्ली वासियों पर भी पड़ सकता है. और उन्हें पानी के लिए टैंकरों के आगे लाइन लगानी पड़ सकती है.
आपको बता दें कि 7 फरवरी के दिन चमोली में आई त्रासदी के बाद से लेकर अब तक मरने वालों की संख्या 50 हो चुकी है. अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. रविवार के दिन ही 12 शव पाए गए हैं.