आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सोमवार को फैसला आने वाला है। आज इस मर्डर मिस्ट्री को लगभग पांच साल हो गए हैं, लेकिन अब भी कई सवाल अनसुलझे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट के फैसले के साथ ही कई भेद खुलेंगे. बहरहाल, एक नजर इस मर्डर मिस्ट्री पर कि कब क्या हुआ-
16 मई, 2008: आरुषि तलवार को नोएडा स्थित अपने घर में मृत पाया गया, उसके गले की नस कटी हुई थी. नेपाली घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक.
17 मई 2008: हत्या के अगले ही दिन नौकर हेमराज का शव तलवार के घर की छत पर मिला.
18 मई 2008: पुलिस ने कहा कि हत्या का तरीका किसी दक्ष सर्जरी करने वाले द्वारा किया गया जान पड़ता है.
23 मई 2008: आरुषि के पिता दंत चिकित्सक राजेश तलवार दोहरी हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए.
31 मई 2008: तत्कालीन मायावती सरकार ने मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा.
13 जून 2008: पुलिस ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया. 10 दिनों बाद तलवार दंपत्ति के चिकित्सक मित्र का नौकर और तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी गिरफ्तार किया गया.
12 जुलाई 2008: सीबीआई द्वारा सबूत जुटा पाने में असफल रहने पर डॉ. राजेश को जमानत दी गई.
5 जून 2010: सीबीआई ने तलवार दंपत्ति पर नार्को जांच के लिए अदालत में याचिका दाखिल की.
29 दिसंबर 2010: सीबीआई ने मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि मुख्य संदिग्ध आरुषि के पिता राजेश तलवार हैं, लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं.
25 जनवरी 2011: राजेश तलवार पर गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक द्वारा हमला किया गया.
9 फरवरी 2011: गाजियाबाद की विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और कहा कि आरुषि-हेमराज हत्या मामले में राजेश और नुपुर तलवार पर मामला चलाया जाए. दंपत्ति पर हत्या के बाद सबूत मिटाने का भी आरोप है.
गाजियाबाद की एक सीबीआई अदालत ने दंपत्ति के खिलाफ अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए जमानती वारंट जारी किया.
14 मार्च 2012: सीबीआई ने अदालत में राजेश तलवार की जमानत याचिका खारिज करने की अपील की.
30 अप्रैल 2012: आरुषि की मां नूपुर तलवार को गिरफ्तार किया गया.
3 मई 2012: सत्र अदालत ने नूपुर तलवार की जमानत याचिका खारिज की.
25 मई 2012: तलवार दंपत्ति पर गाजियाबाद अदालत ने हत्या, सबूत मिटाने और षडयंत्र रचने का आरोप लगाया.
25 सितंबर 2012: नूपुर तलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत दी गई.
अप्रैल 2013: सीबीआई अधिकारी ने अदालत से कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या राजेश तलवार ने की. सीबीआई ने कहा कि हत्या के वक्त आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया था.
3 मई 2013: बचाव पक्ष के वकील ने एक विशेष अदालत में पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक अरुण कुमार (गवाह के रूप में) सहित 14 लोगों को समन भेजने के लिए याचिका दाखिल की. सीबीआई ने याचिका का विरोध किया.
6 मई 2013: निचली अदालत ने 14 लोगों को समन भेजने की तलवार की याचिका खारिज की. उसने राजेश और नूपुर तलवार के रिकॉर्डेड बयान लेने के आदेश दिए.
18 अक्टूबर 2013: सीबीआई ने जिरह बंद की और कहा कि तलवार दंपत्ति ने जांच को गुमराह किया है.
12 नवंबर 2013: अदालत ने अपना फैसला 25 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया.
25 नवंबर 2013: सीबीआई की अदालत ने राजेश और नूपुर तलवार को हत्या का दोषी करार दिया.