दिल्ली विधानसभा में इन दिनों बजट सत्र चल रहा है. इस बीच रोजगार निदेशालय से पूछे गए दो सवालों ने दिल्ली सरकार की रोज़गार नीतियों की बखिया उधेड़ कर रख दी है. प्रश्न काल में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि साल 2019 से लेकर 2024 के बीच दो सरकारी ऑनलाइन एम्प्लॉयमेंट पोर्टल के जरिए सिर्फ दो लोगों को नौकरी मिली है, इन दोनों को भी पिछले साल यानी 2024 में नौकरी दी गई.
आश्चर्य की बात तो यह है कि साल 2020 तक दो की बजाए दिल्ली सरकार का एक ही अपॉइंटमेंट पोर्टल होता था, लेकिन जुलाई 2020 में निदेशालय ने एक नया रोजगार बाजार पोर्टल बनाया और नाम रखा रोजगार बाजार पोर्टल. ये नया पोर्टल 3 साल भी नहीं चल पाया और 2023 में ही बंद हो गया. लेकिन इस बंद पड़े पोर्टल के रखरखाव के लिए अभी भी दो कर्मचारी कार्यरत हैं.
2019 से 2023 तक एक भी दिल्ली वाले को एम्प्लॉयमेंट पोर्टल से नहीं मिला रोजगार
इस डेटा के मुताबिक जिस समय दिल्ली कॉविड के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी उसे समय राजधानी में अपॉइंटमेंट पोर्टल का सबसे बुरा हाल था. 5 साल तक इन पोर्टल्स के जरिए एक भी नौकरी नहीं दी गई. 2009 से चल रहे दिल्ली के पुराने एम्प्लॉयमेंट पोर्टल (onlineemploymentportal.delhi.gov.in) के रखरखाव के लिए पांच अधिकारी और कर्मचारी काम करते हैं. इसके अलावा 6 तकनीकी कर्मचारी भी अनुबंधित किए गए हैं. विधानसभा में दिए गए उत्तर के मुताबिक इस पोर्टल से रोजगार भले ना मिला हो, लेकिन 2021 से अभी तक इस पुराने पोर्टल पर लगभग 34 लाख रुपए का खर्च हुआ है.
रोजगार मेला के जरिए 10% रजिस्टर्ड बेरोजगारों को भी नहीं मिली नौकरी
विधानसभा में दिए गए उत्तर में सरकार ने बताया है कि 2015 से लेकर 2024 के बीच दिल्ली के रोजगार कार्यालय में लगभग 4 लाख 40 हजार बेरोजगारों ने अपना नाम रजिस्टर कराया. दिल्ली के बेरोजगारों को नौकरी मुहैया कराने के लिए 10 साल में 10 रोजगार मेले भी लगाए गए लेकिन उनमें सिर्फ 36 हज़ार अभ्यर्थियों को ही शॉर्टलिस्टेड किया गया। सरकार की तरफ से जवाब में यह भी बताया गया है कि पिछले 10 सालों में कोई भी नया एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज नहीं खोला गया है.