अपनी खोई हुई बहनों के प्यार में दो भाइयों ने 2 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय किया. रक्षाबंधन में कुछ ही दिन बचे हैं और दो भाइयों की यह कहानी भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाती है. कई दिनों से गायब अपनी बहनों की तलाश में दोनों भाई दिल्ली तक पहुंच गए.
एक पश्चिम बंगाल का निवासी है, जबकि दूसरा असम का. बहनों की तलाश में इन्होंने तीन अन्य लड़कियों को मानव तस्करी करने वाले गिरोह से छुड़ाने में सफलता हासिल की. अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक इन दोनों में से एक भाई की तलाश तो जीबी रोड में खत्म हुई, जहां एक वैश्यालय में उसे अपनी बहन मिल गई. लेकिन दूसरा व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं रहा. अब वह एक एनजीओ के साथ मिलकर मानव तस्करी रोकने के लिए काम कर रहा है.
बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले एनजीओ शक्ति वाहिनी के अनुसार पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया. उसे अपनी 16 साल की बहन की तलाश थी, जो 26 जून से गायब थी. कुछ दिन पहले ही 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने एक ग्राहक के फोन से उसे फोन किया था. लड़की ने अपने भाई को बताया कि वह दिल्ली के जीबी रोड इलाके में है.
एनजीओ ने इसके बाद इस पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी और पुलिस के साथ मिलकर मंगलवार व बुधवार को दो वैश्यालयों पर छापे मारे. शक्ति वाहिनी के रिषिकांत ने बताया कि पश्चिम बंगाल से गायब 16 साल की लड़की बुधवार को दूसरे वैश्यालय से बरामद की गई. लड़की ने बाल कल्याण समिति को बताया कि उसके साथ कई बार रेप किया गया. इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
दूसरे मामले में असम का एक व्यक्ति अपनी नाबालिग बहन की तलाश में दिल्ली तक पहुंचा. उसकी बहन पिछले पांच साल से गायब है. वह पिछले एक महीने से दिल्ली में अपनी बहन की तलाश कर रहा है और अब बचपन बचाओ आंदोलन के साथ काम कर रहा है. इन दो लड़कियों की तलाश के लिए जारी किया गया पुलिस का अभियान अब भी जारी है.
बचपन बचाओ आंदोलन के एक कार्यकर्ता ने बताया कि हमें पता चला था कि पंजाबी बाग की एक प्लेसमेंट एजेंसी में 15 लड़कियों को छिपाकर रखा गया है. इनमें असम की नाबालिग लड़की के भी होने की उम्मीद थी, लेकिन जब वहां रेड की गई तो सिर्फ तीन लड़कियां ही मिलीं. इनमें असम की नाबालिग लड़की नहीं थी. पंजाबी बाग से बरामद की गई लड़कियां झारखंड और ओडिशा से लाई गई थीं.
एनजीओ कार्यकर्ता ने बताया कि असम से अपनी बहन की तलाश में आए व्यक्ति ने इन लड़कियों को छुड़ाने में उनकी मदद की. उन्होंने बताया कि वह व्यक्ति दिल्ली छोड़ने को बिलकुल तैयार नहीं है, वो अब हमारी मदद कर रहा है और उसे उम्मीद है कि वो एक दिन अपनी बहन को लेकर ही वापस जाएगा.