दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया से हाल बेहाल है. सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवट अस्पतालों में मरीजों की लाइनें लगी हैं, ऐसे में क्लीनिक और नरसिंग होम्ज में भी मरीज सुबह से बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. ईस्ट दिल्ली के कृष्णानगर में डॉक्टर मोंगा के क्लीनिक के बाहर सुबह से मरीजों की लाइन लग रही है, जिसमें हर उम्र के मरीज हैं.
प्राइवेट क्लीनिकों में खर्च हो रहे हजारों
कोई एक हफ्ते से बीमार है तो कोई एक महीने से बीमार है. यहां ज्यादातर चिकनगुनिया के मरीज हैं. किसी के घर से एक तो किसी का पूरा परिवार इस बीमारी की चपेट में है. कृष्णा नगर में रहने वाले राजेश जिनके परिवार में 5 लोग हैं और सभी की तबियत खराब है. उनकी मानें तो सरकार अच्छे इंतजामों का केवल दावा कर रही है लेकिन अस्पतालों में लाइनें लगी हैं. वहां बस दवाई दे देते हैं और कोई मरीज को ठीक से देखता भी नहीं है. यही वजह है कि वो यहां प्राइवट क्लीनिक में इलाज करवा रहे हैं और अब तक उनके 30 हजार से ज्यादा खर्च हो चुके है.
डॉक्टर दे रहे हैं ज्यादा समय
क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर मोंगा की मानें तो इस साल चिकनगुनिया के मामले बहुत ज्यादा आ रहे हैं. इसकी संख्या पिछले साल से कहीं ज्यादा है. यही वजह है कि लोग पैनिक कर रहे हैं. सुबह से शाम तक मरीजों की लाइनें लगी हैं. डॉक्टर को क्लीनिक में एक्स्ट्रा टाइम देना पड़ रहा है ताकि लोगों को देख सकें.
फुल हैं बेड, फोल्डिंग चारपाई पर हैं मरीज
पटेल नगर में डॉ. ओपी यादव के क्लीनिक का हाल भी मिलता जुलता है. यहां भी मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं. यहां हालात ऐसे हैं कि बेड फुल हैं तो फोल्डिंग चारपाई पर मरीजों को रखा है ताकि उनका इलाज हो सके. डॉक्टर यादव कहते हैं कि बेड की संख्या हर जगह कम है. ऐसे में जैसे भी हो वो इलाज की कोशिश कर रहे हैं. किसी को बेंच तो किसी को फोल्डिंग पर रखा गया है इससे ज्यादा बेड लगाना नियमों के खिलाफ है लेकिन मरीज परेशान हैं.
कमाई कर रहे हैं प्राइवेट क्लीनिक
सरकार और एजेंसियां इंतेजाम और सुविधाओं के लेकर अपना दावा लगातार कर रही हैं लेकिन आज की सच्चाई यही है कि इस वक्त दिल्ली का हर घर बुखार से करहा रहा है. प्राइवेट क्लीनिक में इलाज महंगा है. लोगों पर इसका बोझ भी बढ़ रहा है लेकिन जिंदगी से बड़ा कुछ नहीं है. यही वजह है कि लोग पैसा खर्च करके भी इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में प्राइवट क्लीनिक अच्छा पैसा कमा रहे हैं लेकिन आखिर ये कहर कब तक रहेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है.