scorecardresearch
 

देश को हर साल 35-40 फाइटर जेट की जरूरत, वायुसेना चीफ एपी सिंह बोले- पीछे मुड़कर नहीं देख सकते

भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी. सिंह ने कहा है कि भारत को हर साल 35-40 लड़ाकू विमान बनाने होंगे ताकि पुराने विमानों को बदला जा सके. उन्होंने आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि अगर स्वदेशी सिस्टम 85-90% तक भी असरदार हैं, तो भारतीय वायुसेना उन्हें अपनाएगी.

Advertisement
X
फाइटर जेट (File photo)
फाइटर जेट (File photo)

भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा है कि भारत को हर साल 35-40 लड़ाकू विमानों का उत्पादन करना होगा ताकि पुराने विमानों को बदला जा सके. साथ ही उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले साल से हर साल 24 तेजस Mk1A विमानों का उत्पादन करेगा, और सुखोई निर्माण व निजी क्षेत्र की भागीदारी से यह लक्ष्य पूरा किया जा सकता है.

Advertisement

वायुसेना प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बेहद जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को प्राथमिकता देगी, भले ही उनकी क्षमता अंतरराष्ट्रीय विकल्पों से कुछ कम हो. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई स्वदेशी सिस्टम मुझे 85-90% क्षमता भी देता है, तो हम उसे अपनाएंगे.

भारत को हर साल चाहिए 35-40 लड़ाकू विमान

एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि दीर्घकालिक युद्ध की स्थिति में भारत को अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता बनाए रखनी होगी. उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशों पर निर्भरता एक रणनीतिक कमजोरी साबित हो सकती है.

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय वायुसेना तेजी से ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग को अपने सिस्टम में शामिल कर रही है. इससे संचालन में सुधार और समय की बचत हो रही है.

यह बयान चाणक्य डायलॉग्स सम्मेलन में भारत 2047  युद्ध में आत्मनिर्भरता विषय पर चर्चा के दौरान आया. वायुसेना प्रमुख के इस संदेश से यह साफ है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है.

Advertisement

सेना किसी भी अनुसंधान एवं विकास परियोजना के लिए प्रतिबद्ध

इसके अलावा वायुसेना प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण पूरी तरह से स्पष्ट है और वो बिल्कुल आश्वस्त हैं कि भले ही स्वदेशी प्रणाली का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम हो. अगर यह विश्व बाजार में उपलब्ध प्रणाली का 90 प्रतिशत या 85 प्रतिशत हो तो भी हम स्वदेशी प्रणाली पर ही जोर देंगे. सिर्फ यही एकमात्र तरीका है जिससे हम अपनी रक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं

Live TV

Advertisement
Advertisement