भारतीय सेना ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास हवाई अभ्यास किया. बता दें कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है जहां चीन ने 2016 में डोकलाम गतिरोध के बाद से सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर काफी संवेदनशील माना जाता है. ये कॉरिडोर भारत के पूर्वोत्तर सीमावर्ती तिब्बत तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है.
सेना ने कहा कि भारतीय सेना की एयरबोर्न रैपिड रिस्पांस टीमों के लगभग 600 पैराट्रूपर्स ने विभिन्न एयरबेस से एयरलिफ्ट किए जाने के बाद 24 और 25 मार्च को एक एयरबोर्न एक्सरसाइज में सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास बड़े पैमाने पर लैंडिंग की.
एक्सरसाइज में फ्री फॉल टेक्निक थी शामिल
इंडियन आर्मी ने कहा कि एक्सरसाइज में एडवांस फ्री फॉल टेक्निक शामिल थी. सेना ने कहा कि अभ्यास में सैनिकों को एयरलिफ्ट करना, बड़े पैमाने पर एयरड्रॉप्स, रैपिड रीग्रुपिंग, महत्वपूर्ण लक्ष्यों की निगरानी और उद्देश्यों को हासिल करना शामिल था.
बता दें कि इस महीने इंडियन आर्मी का ये दूसरा हवाई अभ्यास है. इससे पहले इंडियन आर्मी ने नवंबर 2021 में 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर लद्दाख में अपने सबसे बड़े एयर एक्सरसाइज को अंजाम दिया था.
चीन के साथ सैन्य खींचतान के बीच मई 2020 से भारतीय सेना ने अपनी तैनाती बढ़ा दी है. 15 दौर की सैन्य वार्ता के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है. फिलहाल, एलएसी पर गतिरोध जारी है, सैनिकों को फिलहाल हटाने के कोई संकेत नहीं हैं. वहीं भारत की ओर से तनाव को कम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
चीनी विदेश मंत्री को भी एलएसी पर गतिरोध के बारे में बताया था
चीनी विदेश मंत्री वांग यी को उनकी वर्तमान यात्रा में भी इस बात से अवगत कराया गया था. फिलहाल, गलवान, गोगरा और पैंगोंग समेत पीपी 15 के आसपास के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में अभी भी तनाव बना हुआ है.
भारत ने जोर देकर कहा है कि चल रहे सैन्य गतिरोध के मद्देनजर देपसांग और डेमचोक को भी तनावग्रस्त वाले एरिया के रूप में देखा जाता है, लेकिन चीन देपसांग और डेमचोक पर अपने रुख पर अडिग है. बता दें कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में पिछले साल सैन्य गतिरोध के दौरान तनाव वाले इलाकों के रूप में उभरे क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों पर भी चर्चा नहीं की है.
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