18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है. इसको लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने 15 जून को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है.
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल विधानसभा में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद से ही विपक्ष को एकजुट करने में लगी हुई हैं. उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात हो चुकी है, शरद पवार से उनकी बात हुई है. दूसरे नेताओं को भी वे समय-समय पर पत्र लिख साथ लाने का प्रयास कर रही हैं. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर होने जा रही इस बैठक को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है.
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ममता ने उम्मीदवार बनने का दिया था प्रस्ताव
ममता बनर्जी ने बैठक से पहले बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि उन्होंने शरद पवार को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन पिछली बार की तरह उन्होंने इस बार भी प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. कांग्रेस और शिवसेना भी एनसीपी प्रमुख शरद पवार को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहती थी.
कहा जा रहा था कि उन्हें विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है लेकिन ममता का प्रस्ताव ठुकराने के साथ ही उनके नाम की हो रही चर्चा पर भी विराम लग गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या आज होने वाली इस बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए किसी नए नाम को लेकर चर्चा होगी?
विपक्ष के 8 सीएम समेत 22 नेताओं को ममता ने बुलाया
ममता बनर्जी ने विपक्ष के 8 सीएम सहित 22 नेताओं को चिट्ठी लिखकर बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था. ममता ने जिन नेताओं को पत्र लिखा है, उनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी शामिल हैं. इस बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हो सकते हैं.
कांग्रेस की तरफ से इस बैठक में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा आरएलडी के नेता जयंत चौधरी भी मीटिंग के लिए बुलाया गया है. इसके अलावा कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी और पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा इस बैठक में हिस्सा लेंगे.
18 जुलाई को वोटिंग, 21 को होगी काउंटिंग
चुनाव आयोग ने देश के नए राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो जाएगा. अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार 29 जून तक नामांकन कर सकेंगे. 30 जून को नामांकन पत्र की जांच होगी. 2 जुलाई तक उम्मीदवार नामांकर वापस ले सकेंगे. इसके बाद 18 जुलाई को मतदान होगा और 21 जुलाई को काउंटिंग होगी.
गुलाम नबी आजाद के नाम भी चर्चा
अभी इस समय विपक्ष का एक ऐसा खेमा भी है जो संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने की पैरवी तो कर रहा है, लेकिन वो किसी कांग्रेसी को उस पद पर नहीं देखना चाहता. ऐसी भी खबर आई है कि एनसीपी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए आगे किया.
एनसीपी चाहती है कि आजाद विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बन जाए. इस पर अभी तक कांग्रेस ने अपनी राय स्पष्ट नहीं की है. वैसे लेफ्ट को लेकर कहा जा रहा है कि वो कांग्रेस द्वारा समर्थन दिए जाने वाले किसी उम्मीदवार के साथ ही जाने वाली है. उनके मुताबिक विपक्ष में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है, नंबर गेम में भी वो आगे चल रही है.
इसलिए विपक्ष हो रहा एकजुट, जानिए वोटों का गणित
सामान्य तौर पर जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाता है वह अपनी सीट पर विजेता घोषित कर दिया जाता है लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में हार या जीत वोटों की संख्या से नहीं बल्कि वोटों की वैल्यू से तय होती है. राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार को सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल मूल्य का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करना होता है.
चुनाव आयोग के मुताबिक मौजूदा समय में राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है. इसमें कुल विधायकों के वोटों का वेटेज 543231 और सांसदों के वोटों का वेटेज 543200 है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के वोट का मूल्य 6,264 है, जो फिलहाल निलंबित है. इसे घटाने के बाद राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,43,216 वोट मूल्य की जरूरत होगी.