नॉर्थ MCD की मेयर प्रीति अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की जांच शुरू हो गई है. उन पर टेंडर प्रक्रिया के साथ ही दवाओं की खरीददारी समेत अन्य कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं.
दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के निर्देश के बाद नगर निकाय के सतर्कता विभाग ने बीजेपी मेयर प्रीति अग्रवाल के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. राष्ट्रपति भवन ने भी इस मामले में स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है. मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) मंगेश कश्यप ने इस बात की पुष्टि की है.
मेल टुडे से बातचीत में कश्यप ने बताया कि प्रीति अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू कर दी गई है. इसकी जांच रिपोर्ट उप राज्यपाल को भेजी जाएगी. हालांकि उन्होंने इस पर विस्तृत जानकारी नहीं दी. वहीं, म्यूनिसिपल कमिश्नर मधुप व्यास ने मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उधर, बीजेपी मेयर प्रीति अग्रवाल ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
प्रीति अग्रवाल ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप बेबुनियाद हैं. किसी भी टेंडर प्रक्रिया में कोई पॉलिटिकल विंग शामिल नहीं हुई. अगर जरूरत पड़ी, तो मामले को सीधे स्थायी समिति को भेजा गया. उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रहे सतर्कता विभाग को किसी भी तरह की खामी नहीं मिलेगी.
मालूम हो कि दिल्ली के एक वकील की शिकायत के आधार पर इस जांच के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट देने और टेंडर प्रक्रिया में गंभीरत अनियमिताएं बरतने का आरोप लगाया है. उन्होंने निकाय के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर भी आरोप लगाए हैं. वकील ने यह आरोप लगाया कि मेयर प्रीति अग्रवाल ने अपने मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला.
साथ ही मलाईदार पद पर चुनिंदा अधिकारियों की पोस्टिंग की. इसके अलावा नॉर्थ एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर ने भी प्रीति अग्रवाल पर टेंडर आवंटन के दौरान अवैध तरीके से डिप्टी कमिश्नर (हेडक्वार्टर्स) के. महेश के कार्यालय में प्रवेश कर गई थीं.
इस बार दिल्ली के निकाय चुनाव में बीजेपी ने पुराने उम्मीदवारों को दरकिनार करके नए चेहरे मैदान में उतारे थे. इसमें बीजेपी को शानदार जीत भी मिली थी, लेकिन बीजेपी मेयर प्रीति अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने और जांच शुरू होने से बीजेपी की छवि को धक्का लगा है.