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डीयू में लेफ्ट और ABVP छात्रों के बीच झड़प की INSIDE Story

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े रामजस कॉलेज के इंग्लिश डिपार्टमेंट और रामजस लिटरेरी सोसाइटी ने एक कल्चरल फेस्ट का आयोजन किया था. दो दिवसीय इस कार्यक्रम का नाम था कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट. इन 2 दिनों में विभिन्न विषयों पर संवाद और लेक्चर किया जाना था, जिनमें से दिल्ली विश्वविद्यालय सहित तमाम दूसरे कॉलेजों से जुड़े विशेषज्ञ और प्रोफेसरों को आमंत्रित किया गया था.

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रामजस कॉलेज में झड़प के विरोध में छात्रों ने गुरुवार को भी प्रदर्शन किया
रामजस कॉलेज में झड़प के विरोध में छात्रों ने गुरुवार को भी प्रदर्शन किया

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दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते 2 दिनों से जो महासंग्राम छिड़ा है, उसके पीछे की असली वजह क्या है? आज हम आपको विस्तार से बताते हैं. दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े रामजस कॉलेज के इंग्लिश डिपार्टमेंट और रामजस लिटरेरी सोसाइटी ने एक कल्चरल फेस्ट का आयोजन किया था. दो दिवसीय इस कार्यक्रम का नाम था कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट. इन 2 दिनों में विभिन्न विषयों पर संवाद और लेक्चर किया जाना था, जिनमें से दिल्ली विश्वविद्यालय सहित तमाम दूसरे कॉलेजों से जुड़े विशेषज्ञ और प्रोफेसरों को आमंत्रित किया गया था.


आदिवासी मामलों पर बोलने वाले थे उमर खालिद
इन्हीं में से एक विषय आदिवासी इलाकों में आदिवासियों की पुलिस और सरकार के साथ हो रहे टकराव पर भी एक कार्यक्रम रखा गया था. इस कार्यक्रम में तीन गेस्ट को बुलाया गया था, जिनमें से एक उमर खालिद का भी नाम था. उमर खालिद बस्तर में आदिवासियों के संघर्ष और सरकार से टकराव के विषय पर एमफिल कर रहा है और उसी विषय को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के इंग्लिश लिटरेचर फेस्ट में उसे बोलना था. यह कार्यक्रम 21 फरवरी को दोपहर 1 बजे होना था.

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शहला रशीद को ऑक्यूपाई कैंपस पर बोलना था
वहीं लिफ्ट संगठन की नेता शहला रशीद को अगले दिन यानी 22 फरवरी को ऑक्यूपाई कैंपस विषय पर बोलना था. जैसे ही ABVP संगठन से जुड़े लोगों को पता चला कि कॉलेज में उमर खालिद और शहला रशीद को बुलाया गया है, ABVP ने इसका जमकर विरोध किया . यह मामला प्रिंसिपल तक पहुंचा, जिसके बाद प्रिंसिपल ने इस पूरे कार्यक्रम को ही रद्द कर दिया.


प्रिंसिपल को गेस्ट की खबर नहीं लगी
बात हैरान करने वाली लग सकती हैं, लेकिन रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल को इस पूरे कार्यक्रम में आ रहे अतिथियों की जानकारी नहीं थी. ऐसा खुद प्रिंसिपल का कहना है और यही वजह है कि जब यह पूरा मामला प्रिंसिपल तक पहुंचा तो उन्होंने इस पूरे कार्यक्रम को ही रद्द करना उचित समझा. दरअसल यह कार्यक्रम इंग्लिश डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स और टीचर्स ने मिलकर आयोजित किया था. कार्यक्रम के आयोजन की प्रिंसिपल को खबर तो थी, लेकिन उनमें आ रहे गेस्ट की खबर प्रिंसिपल को नहीं लगी.

कार्यक्रम रद्द होते ही लेफ्ट संगठन ने की नारेबाजी
जैसे ही कार्यक्रम रद्द हुआ, इंग्लिश डिपार्टमेंट से जुड़े लोग और कॉलेज के ही लेफ्ट समर्थित कुछ लोगों ने कॉलेज के अंदर एक मार्च निकाला और जमकर नारेबाजी की. बताया गया कि इस दौरान कथित रूप से कश्मीर के समर्थन में भारत विरोधी नारे लगाए गए. हालांकि इसकी पुष्टि हम नहीं करते. ABVP के लोगों का दावा है कि इन्हीं नारों के बाद उन्होंने मार्च निकाल रहे इन छात्रों के खिलाफ नारेबाजी की. जिसके बाद कॉलेज के अंदर का माहौल गर्मा गया. रात होते ही ABVP की तरफ से पत्थरबाजी की भी खबरें आई, जिसके विरोध में अगले दिन यानि बुधवार को कॉलेज के बाहर टीचर्स और स्टूडेंट्स का प्रोटेस्ट मार्च आयोजित किया गया था.

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प्रोटेस्ट मार्च में भिड़े एबीवीपी और लेफ्ट के छात्र
प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन सुबह 11:00 बजे किया गया था. इस मार्च में इंग्लिश डिपार्टमेंट के टीचर और स्टूडेंट्स मिलकर स्थानीय थाने तक जाना चाह रहे थे. पुलिस को अंदाजा नहीं था कि इस दौरान छात्रों का संघर्ष एक दूसरे से हो सकता है. हालांकि पुलिस ने अंदर के स्टूडेंट्स और टीचर्स को बाहर आने की इजाजत नहीं दी, क्योंकि बाहर ABVP के समर्थन के लोग पहले से ही नारेबाजी करने खड़े हो गए थे.

छात्रों की संख्या को लेकर पुलिस से हुई चूक
थोड़ी ही देर बाद जब अंदर की भीड़ बाहर आई, तब तक बाहर दो गुट बने हुए थे. एक गुट लेफ्ट समर्थक छात्रों का था, तो दूसरी तरफ एबीवीपी का गुट था. अंदर की भीड़ आते ही दोनों गुटों में बट गई और उसके बाद एक दूसरे के सामने जमकर नारेबाजी हुई. नारेबाजी के बीच ही जब माहौल गरम हुआ, तो दोनों संगठन एक दूसरे से भिड़ गए. दोनों छात्र गुटों में जमकर मारपीट होने लगी, जिसका पुलिस ने बीच-बीच में बचाव करने की कोशिश की और इस दौरान लाठीचार्ज भी किया. हालांकि पुलिस कार्रवाई से मामला संभलने की बजाए और बिगड़ गया. दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस की सड़कों पर कई घंटों तक यह संघर्ष चलता रहा और खुलेआम मारपीट होती रही. इस दौरान पुलिस बस मूकदर्शक बनी रही है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उसे यह उम्मीद नहीं थी कि छात्रों की इतनी ज्यादा भीड़ इकट्ठा हो जाएगी.

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वहीं लाठीचार्ज के बाद जब पुलिस ने तफ्तीश की, तो पता चला कि इस हिंसक झड़प में कुल 11 छात्र और आठ पुलिसकर्मी घायल हुए है, जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात छात्रों के खिलाफ दंगा और बलवा फैलाने जैसे मामले दर्ज किए.

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