जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने जम्मू कश्मीर के हालात के साथ-साथ नियंत्रण रेखा और सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर प्रधानमंत्री से बातचीत की. अब्दुल्ला का मानना रहा है कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करके कोई समस्या का हल निकालना चाहिए. उनका कहना है कि भारत-पाकिस्तान मसले का हल बमबारी से नहीं, बल्कि बातचीत से निकलेगा. 'आजतक' ने अब्दुल्ला से इस मुद्दे पर खास बातचीत की है. पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश...
सवाल: जम्मू कश्मीर का मुद्दे या मौजूदा भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर आपकी पीएम मोदी से क्या बात हुई है?
फारुक अब्दुल्ला: प्रधानमंत्री से मेरी क्या बात हुई, वो नहीं बताया जा सकता. जम्मू-कश्मीर और बॉर्डर पर जो हालात हैं, उनका पीएम को अफसोस है. वह चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर हो. तनाव की वजह से वहां के स्कूल बंद हैं. ऐसे में बच्चों की तालीम में असर पड़ रहा है. जो सियासी हालात हैं, उन्हें ठीक करने की कोशिश होनी चाहिए. पाकिस्तान के साथ गोलाबारी हो रही है, उससे गरीबों को नुकसान हो रहा है.
सवाल: आपका हमेशा से स्टैंड रहा है कि जब तक बातचीत नहीं होगी, तब तक समस्या का हल नहीं निकल सकता. क्या भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की गुंजाइश है?
फारुक अब्दुला: यह मेरी राय जरूर है कि बातचीत होनी चाहिए. अच्छे माहौल में होनी चाहिए, ताकि हम इस मुसीबत से निकल सके, जिसमें बार-बार फंसते हैं. प्रधानमंत्री भी यही चाहते हैं. उनका भी मानना है कि दोनों मुल्कों का अच्छा राफता होना चाहिए. अच्छे ताल्लुकात होने चाहिए. मैं मानता हूं कि पाकिस्तान को भी अक्ल आएगी की बमबारी से कुछ हल नहीं निकलता.
सवाल: जम्मू-कश्मीर में कल शाम से हैवी फायरिंग हो रही है. वहां पर पाकिस्तानी ने कमांडो की फोर्स तैनात कर रखी है. इसे मिनी बार कहा जा रहा है?
फारुक अब्दुल्ला- देखिए मैं आपसे कह रहा हूं कि युद्ध कोई नहीं चाहता है. लेकिन, पाकिस्तान गड़बड़ करेगा तो हम उसका वाजिब जवाब देंगे. जंग होने की स्थिति में दोनों देश तबाही की ओर जाएंगे. इसे रोकने की जरूरत है. मैं कहता हूं कि इस समय हिंदुस्तान की हुकूमत गहरी सोच में है कि इस तनाव को कैसे कम किया जाए और दूर किया जाए.
सवाल: कहा जा रहा है कि जो सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, पाकिस्तान उसका बदला लेने की तैयारी कर रहा है. आपको लगता है उसको सबक सिखाने के लिए एक बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए?
फारुक अब्दुल्ला: मैं सर्जिकल स्ट्राइक वगैरह नहीं जानता. मैं फौजी आदमी नहीं हूं. मैं तो वाजपेयी जी की एक बात जानता हूं कि पड़ोसी बदला नहीं जा सकता, दोस्त बदले जा सकते हैं. पड़ोसी से दुश्मनी रखेंगे, तो तरक्की खराब होगी. हमारी भी उनकी भी. दोस्ती में रहेंगे, तो तरक्की करेगी. आप और कितना सबक सिखाएंगे? क्या न्यूक्लियर वॉर करेंगे? क्या उसमें आपकी तबाही नहीं होगी? ऐसी लड़ाई से बाज आइए और समस्या का हल तलाशिए.