1984 बैच के गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसर राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर का पदभार संभाल लिया है. हालांकि उनका नाम कई बार विवादों में भी रहा, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का करीबी माना जाता है इसलिए कई काबिल आईपीएस अफसरों को दरकिनार कर अस्थाना को रिटायर्ड होने के ठीक 3 दिन पहले एक साल का एक्सटेंशन देकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना दिया गया.
अस्थाना दिल्ली पुलिस के 23वें कमिश्नर हैं. इससे पहले मंगलवार रात जब गृह मंत्रालय ने अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाने का आदेश जारी किया तो हर कोई हैरान रह गया. पुलिस मुख्यालय में भी इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई.
राकेश अस्थाना इसी 31 जुलाई को बीएसएफ डीजी के पद से रिटायर हो रहे थे, लेकिन मंगलवार को उन्हें अचानक न सिर्फ एक साल का एक्सटेंशन दे दिया गया बल्कि गुजरात कैडर से एजीएमयूटी कैडर में डेपुटेशन में भेज दिया गया और दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना दिया गया.
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बाहर के कैडर से CP बनने वाले तीसरे अफसर
इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. जबकि 27 दिन पहले एक्टिंग सीपी लगे 1988 बैच के आईपीएस अफसर बालाजी श्रीवास्तव को पद से हटा दिया गया.
दिल्ली पुलिस कमिश्नर की दौड़ में आगे चल रहे 1987 बैच के आईपीएस अफसर सत्येंद्र गर्ग और ताज हसन को दरकिनार कर दिया गया. एसएस जोग और अजयराज शर्मा के बाद राकेश अस्थाना बाहर के कैडर से आने वाले दिल्ली पुलिस के तीसरे कमिश्नर हैं.
विवादों में रहे अस्थाना
अस्थाना का नाम विवादों में तब रहा जब वो सीबीआई में स्पेशल डायटेक्टर थे. उनका सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से विवाद हुआ और मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना पर केस दर्ज हुआ था. स्टर्लिंग बॉयोटेक मामले में भी अस्थाना पर रिश्वत लेने के आरोप लगे, जिसके बाद आलोक वर्मा और अस्थाना दोनों को सीबीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
हालांकि अस्थाना को बाद में सभी आरोपों से क्लीन चिट मिल गई और उन्हें अकेले डीजी सिविल एविएशन, डीजी बीएसएफ और डायरेक्टर एनसीबी का एक साथ चार्ज दे दिया गया.
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब अस्थाना सूरत और बड़ोदरा के कमिश्नर रहे. गोधरा कांड की जांच, सीबीआई में रहते चारा घोटाले की जांच, एनसीबी में रहकर सुशांत सिंह ड्रग्स मामले की जांच में अस्थाना की अहम भूमिका रही.