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आरुषि मामले में मिल गया हर सवाल का जवाब?

15-16 मई की उस रात की पूरी कहानी सीबीआई के वकील ने जिरह के दौरान कोर्ट को सुनाई है, इसलिए अब आप जो कुछ भी जानेंगे वो सीबीआई की कहानी है. अभी इस मामले की कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट का आखिरी फैसला आना अभी बाकी है. अब ज़ाहिर है कोर्ट सीबीआई की इस कहानी को मान भी सकती है और खारिज भी कर सकती है.

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15-16 मई की उस रात की पूरी कहानी सीबीआई के वकील ने जिरह के दौरान कोर्ट को सुनाई है, इसलिए अब आप जो कुछ भी जानेंगे वो सीबीआई की कहानी है. अभी इस मामले की कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट का आखिरी फैसला आना अभी बाकी है. अब ज़ाहिर है कोर्ट सीबीआई की इस कहानी को मान भी सकती है और खारिज भी कर सकती है.

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उस रात की ये कहानी सीबीआई के जांच अधिकारी एजीएल कौल के कोर्ट में दिए गए बयान पर आधारित है.

15-16 मई की उस रात नोएडा के जलवायु विहार के अपने बेडरूम में डॉक्टर राजेश तलवार कंप्यूटर पर कुछ ज़रूरी काम कर रहे थे. रात 12 बजे का वक्त होगा. डाक्टर नूपुर तलवार उसी कमरे में सो रही थीं. ठीक उसी वक्त डाक्टर तलवार को बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ सुनते ही डाक्टर तलवार बेडरूम से बाहर आए और ये जानने की कोशिश करने लगे कि आवाज़ कहां से आ रही है?

पर बाहर ल़ॉबी में कोई दिखाई नहीं दिया. डॉक्टर तलवार को लगा कि हो सकता है नौकर हेमराज के कमरे से आवाज़ आई हो. लिहाज़ा वो हेमराज के कमरे में पहुंच गए. पर उन्हें तब हैरत हुई जब देखा कि कमरा खाली है. हेमराज अपने कमरे में नहीं था. पर इसी बीच उनकी नजर हेमराज के कमरे में रखी दो गोल्फ स्टिक पर पड़ गई जो उन्होंने ही वहां रखवाई थी. डॉक्टर तलवार ने उसमें से एक गोल्फ स्टिक उठाई और फिर ये पता करने की कोशिश करने लगे कि आखिर आवाज आई कहां से?

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चूंकि रात के बारह बज चुके थे लिहाज़ आरुषि भी अपने कमरे में सो रही थी. चूंकि आरुषि अपने कमरे में अकेली सोती थी लिहाज़ा उसका कमरा बंद होता था. आरुषि के कमरे का दरवाजा ऐसा था जिसे अंदर से बंद कर दिया जाए तो उसे बगैर चाभी के बाहर से नहीं खोला जा सकता था. लेकिन डॉक्टर तलवार आवाज़ का पीछा करते हुए जब आरुषि के कमरे के करीब पहुंचे तो पाया कि कमरा पूरी तरह से बंद नहीं है. थोड़ा सा दरवाजा खुला हुआ है. आवाज़ उसी कमरे से आ रही थी.

इसके बाद डॉक्टर तलवार ने जैसे ही दरवाजे को थोड़ा सा खोला अंदर कमरे का मंज़र देख कर उनका खून खौल उठा, जो शायद किसी भी बाप का खौलना लाज़मी था. अंदर बिस्तर पर आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक हालत में थे. ये देखते ही डॉक्टर तलवार खुद पर काबू नहीं रख पाए और उन्होंने गोल्फ स्टिक से हेमराज के सिर पर ज़ोरदार वार कर दिया. डॉक्टर तलवार का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था. उन्होंने उसके सिर पर उसी गोल्फ स्टिक से दूसरा वार किया. पर हेमराज का सिर हिल गया और गोल्फ स्टिक उसके पास बैठी आरुषि के सिर पर जा लगी. वार इतना ताकतवर था कि आरुषि और हेमराज दोनों ही लहूलुहान होकर बिस्तर पर गिर पड़े.

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इस बीच गोल्फ स्टिक के वार और घायल आरुषि और हेमराज की आवाज़ सुन कर अपने बेडरूम में सो रहीं डॉक्टर नूपुर तलवार की आंखें भी खुल गईं. वो भागकर आरुषि के कमरे में पहुंचीं. अंदर का मंज़र देख कर वो भी सिहर उठीं. तब तक हेमराज बिस्तर से फर्श पर गिर कर बेहोश हो चुका था, जबकि आरुषि बिस्तर पर बेसुध पड़ी थी. दोनों ने फौरन आरुषि की नब्ज़ टटोली. पर वार जानलेवा था. आरुषि मार चुकी थी.

आरुषि की मौत से दोनों घबरा गए. डॉक्टर तलवार शायद आरुषि को मारना नहीं चाहते थे. पर उनका निशाना चूक गया था. अब कमरे में घायल मगर बेहोश हेमराज पड़ा था और मुर्दा आऱुषि. अब तक जो कुछ भी कमरे में हुआ था सब अचानक हुआ था. पर अब इसके बाद जो होने वाला था वो पूरी तरह सोच-समझ कर होने वाला था.

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