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दिल्ली के जहांगीरपुरी हिंसा के बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 9 बुल़डोजर सुबह-सुबह जहांगीरपुरी में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने उतर गए. अवैध निर्माण ध्वस्त करने का ये अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरु हुआ. माहौल तनाव पूर्ण था और कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था, लेकिन चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम थे.
यह हैं रमन झा. जहांगीरपुरी में जब बुलडोजर चलना शुरू हुआ तो सबसे पहले इन्हीं की दुकान तोड़ी गई. रमन का दावा है कि वह 1985 से यहीं जहांगीरपुरी में पान की दुकान चलाते हैं. साथ में पंडिताई भी करते हैं और पूजा-पाठ भी करवाते हैं. सुबह-सुबह जब इस इलाके में एमसीडी कर्मचारियों की तादाद और साथ ही साथ पुलिस बल की संख्या बढ़ी तो उन्होंने उनसे पूछा कि क्या उनकी दुकान भी तोड़ी जाएगी.
रमन झा का दावा है, 'एमसीडी कर्मचारियों ने कहा कि उनकी दुकान को खतरा नहीं है लेकिन जैसे ही बुलडोजर आया तो उनकी दुकान सबसे पहले बुलडोजर का शिकार बनी.' उनके साथ उनकी पत्नी भी सामान बंटोरने में लगी रही लेकिन रमन की चिंता यह है कि जिस दुकान से वह 5000 रुपये महीना कमा लेते थे अब वह कमाई का स्रोत बंद हो गया है.
दुकान पूरी तरह से टूट गई है. कुछ सामान दंपत्ति निकाल पाए लेकिन बहुत सारे सामान का नुकसान हुआ है और दोबारा दुकान कैसे खड़ी होगी यह चिंता भी उनको सता रही है.
दिल्ली नगर निगम आज पूरे इरादे के साथ मोर्चे पर उतरा था. जहांगीरपुरी को अवैध निर्माण से मुक्त करने की पूरी तैयारी थी. एक-एक के बाद एक बुलडोजर आगे बढ़े. अतिक्रमण को जमींदोज करने की जद्दोजहद शुरु हो गई. सरकारी एजेंसियां की अपनी तैयारी थी तो जिनके घर गिर रहे थे, उनका अपना दर्द था.
नगर निगम प्रशासन के बुलडोडरों को ज्यादा वक्त नहीं मिल सका. 85 मिनट बाद ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का फरमान सुनाया और मौके पर मौजूद नॉर्थ एमसीडी के मेयर ने बुलडोजर ब्रिगेड को एक्शन रोक देने का निर्देश दे दिया.
हालांकि अदालत का आदेश आने के बाद भी बुलडोजर चलते रहे. इलाके की एक मस्जिद के बाहर मौजूद अतिक्रमण को बुलडोजर गिराता रहा. प्रशासन और पुलिस आदेश की कॉपी ना मिलने का तर्क देता रहा और उधर बुलडोजर चलते रहे. सुप्रीम कोर्ट का स्टे ऑर्डर सिर्फ एक दिन के लिए है. कल फिर सुनवाई होनी है, लेकिन जहांगीरपुरी को फिलहाल ऐसे एक्शन से राहत नहीं मिलने वाली है.