जहांगीरपुरी हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की जांच वायरल वीडियो और तस्वीरों के आधार पर ही आगे बढ़ रही है. हालांकि पुलिस ने करीब दिन पहले वायरल वीडियो और तस्वीरों को विश्वलेषण के लिए एफएसएल को भेजा था. फिलहाल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.
दिल्ली पुलिस का कहना है कि वीडियो और तस्वीरों में दिख रहे आरोपियों की तस्वीरें बिलकुल उसी एंगल से क्लिक की गईं हैं जैसे वे सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो में दिख रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने बताया कि कोर्ट की ओर से आदेश मिलने के बाद ऐसा किया गया है.
आजतक को पता चला है कि करीब 15 दिन पहले तस्वीरें और वीडियो को विश्लेषण के लिए FSL को भेजे गए थे. इस पर अभी रिपोर्ट का इंतजार है. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, 54 सीसीटीवी कैमरों के जरिए लगभग 20-25 लोगों की पहचान की गई. उनकी तस्वीरें उसी एंगल से क्लिक की गईं, जैसा कि वे वीडियो में दिखाई दे रहे हैं.
FRS से होगी आरोपियों की सटीक पहचान
बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो और सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे आरोपियों की पहचान FRS (फेशियल रिकग्निशन सिस्टम) से की गई है. बता दें कि किसी वीडियो में केवल 40 प्रतिशत चेहरा दिखने पर भी ये रिकॉग्निशन सिस्टम चेहरे की पहचान कर लेता है. ये अपराधी की पहचान किसी भी एंगल से कर सकता है, पहचान करने के बाद डाटा में उसका नाम, उसकी औसत उम्र के साथ दिखाता है. जानकारी के मुताबिक, FRS के जरिए सीसीटीवी फुटेज और वीडियो में पहचाने गए आरोपियों के फोटो और वीडियो को मौजूदा डेटाबेस जैसे सरकारी पहचान पत्र या पहले की गई रिकॉर्डिंग के साथ क्रॉस चेक किया जाता है.
जहांगीरपुरी हिंसा मामले में जांच में जुटे एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इसमें हमें बहुत समय लगा, लेकिन हम मामले को ठोस बनाना चाहते थे, इसलिए सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो को एफएसएल को भेजी गईं हैं. इस पर रिपोर्ट का अभी इंतजार है.
बता दें कि दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने मामले में 2063 पन्नों की चार्जशीट दायर की है. रोहिणी कोर्ट ने चार्जशीट पर विचार करने के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है.
ये है जहांगीरपुरी हिंसा का पूरा मामला
दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर कुछ लोग शोभायात्रा निकाल रहे थे. इस दौरान कुछ लोगों ने शोभायात्रा पर पथराव किया था. पथराव की घटना के बाद जहांगीरपुरी में हिंसा भड़की थी, इस घटना में 8 पुलिसकर्मी समेत 9 लोगों की घायल हुए थे. पुलिस ने बताया था कि जहांगीरपुरी में जो जुलूस निकला था, उसकी अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी.