दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के दौरान हुई हिंसा के मामले में रोहिणी कोर्ट ने सभी संबंधित मुकदमे सत्र न्यायालय में ट्रांसफर कर दिए हैं. इसके बाद अब जहांगीरपुरी हिंसा मामले पर सेशंस कोर्ट 17 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा. शनिवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान गिरफ्तार सभी 37 आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे.
इन मामलों में दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए 2300 से ज्यादा मोबाइल फोन में हुई वीडियो रिकॉर्डिंग और सीसीटीवी कैमरों के करीब 500 घंटों से भी ज्यादा समय की फुटेज खंगाली थी. इसके अलावा मोबाइल डंप डाटा, CDR, फोन लोकेशन का सहारा भी लिया गया था.
दिल्ली पुलिस ने साइंटिफिक एविडेंस भी अदालत के सामने पेश किए हैं. इन सबूतों में आरोपियों को पकड़ने के लिए चेहरों की पहचान करने वाले Face Recognition System सिस्टम का भी सहारा लिया गया. पुलिस की दलील है कि इससे आरोपी की सटीक पहचान करने में मदद मिली है.
2063 पन्नों की चार्जशीट
जहांगीरपुरी हिंसा मामले की जांच में जुटे एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि इसमें हमें बहुत समय लगा, लेकिन हम मामले को ठोस बनाना चाहते थे, इसलिए सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो की जांच एफएसएल से कराई गईं. दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मामले में 2063 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी.
ये है जहांगीरपुरी हिंसा का पूरा मामला
दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर कुछ लोग शोभायात्रा निकाल रहे थे. इस दौरान कुछ लोगों ने शोभायात्रा पर पथराव किया था. पथराव की घटना के बाद जहांगीरपुरी में हिंसा भड़की थी, इस घटना में 8 पुलिसकर्मी समेत 9 लोगों की घायल हुए थे. पुलिस ने बताया था कि जहांगीरपुरी में जो जुलूस निकला था, उसकी अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी.