दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के दौरान हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर रोहिणी कोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी 37 आरोपियों को प्रोड्क्शन वारंट जारी कर कोर्ट में पेश होने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी.
अब आरोपों पर बहस की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश होगा, आगे की तारीखों में बहस पूरी होने के बाद आरोपियों से पूछा जायेगा कि क्या वे अपना गुनाह स्वीकार करते हैं या नहीं. अगर गुनाह नहीं स्वीकार करते तो कोर्ट चार्ज फ्रेम (प्रथम दृष्टया आरोप तय) करके मुकदमा चलाने का आदेश देगी, जिसके बाद अदालत के सामने गवाही की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
आरोपियों की पहचान के लिए FRS सिस्टम का भी हुआ था यूज
आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने करीब 2300 से ज्यादा मोबाइल वीडियो और सीसीटीवी की मदद ली है. इसके अलावा मोबाइल डंप डाटा, CDR, फोन लोकेशन का सहारा लिया था. दिल्ली पुलिस ने साइंटिफिक एविडेंस भी अदालत के सामने लिस्ट किए हैं, जिसमें आरोपियों को पकड़ने के लिए चेहरों की पहचान करने वाले Face Recognition System सिस्टम का भी सहारा लिया है, जिससे आरोपी की पहचान करने में मदद मिली है.
पुलिस का दावा है कि जहांगीरपुरी हिंसा साजिश के तहत की गई थी, जिसके 3 मास्टरमाइंड तबरेज अंसारी, मोहम्मद अंसार और इशर्फिल हैं. आरोपी इशर्फिल को पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है.
उमर खालिद जमानत मामले में एक अगस्त को होगी सुनवाई
उधर, दिल्ली दंगों में आरोपी उमर खालिद की जमानत की याचिका पर आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाई कोर्ट में उमर खालिद की जमानत पर उनके वकील की दलील पूरी हो गई है. दिल्ली हाई कोर्ट अब 1 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई करेगा. इसी दिन कोर्ट में दिल्ली पुलिस उमर खालिद की जमानत पर अपनी दलील पेश करेगी.
गुरुवार यानी आज हुई सुनवाई के दौरान उमर खालिद के वकील ने कहा कि पांच व्हाट्सऐप ग्रुप बनाये गए थे, जिसमें से तीन का सदस्य उमर खालिद था और एक ग्रुप में उसने चार मैसेज भेजे थे. वकील ने कहा कि उमर खालिद किसी भी भाषण से हिंसा नहीं भड़की, उसके भाषण और हिंसा का कोई सम्बंध नहीं है. CAA हिंसा में एक भी चश्मदीद नहीं है, जो यह बता सके हिंसा के समय उमर खालिद वहां मौजूद था.
उमर के वकील ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि फोन पर संपर्क करना सिर्फ यह बता सकता है कि अभियुक्त एक-दूसरे को जानते हैं लेकिन इससे ज़्यादा कुछ साबित नहीं होता. उमर खालिद के वकील ने कहा कि बैठकों में चक्का जाम और प्रदर्शन का जिक्र करने में कुछ अवैध नहीं है. क्या एक व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होना अवैध है जब तक आप गैरकानूनी काम नहीं करते?
उमर के वकील ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आपराधिक षड्यंत्र आमतौर पर गोपनीयता से रचा जाता है और प्रत्यक्ष प्रमाण पाना मुश्किल होता है. वहीं, कोर्ट ने उमर खालिद के वकील से पूछा कि मान लीजिए कि आप पहली नजर में आप यह साबित कर दें अपने कोई साजिश नहीं की, लेकिन UAPA की धारा 18 के दूसरे प्रावधानों का क्या होगा? दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है.