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'जांच की आड़ में पुलिस कर रही परेशान', जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपी ने दायर की याचिका, दिल्ली HC ने की खारिज

अदालत ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका एक फिशिंग प्रकार की प्रतीत होती है और वो अग्रिम जमानत की मांग कर रही है. इसमें कोई दम नहीं है. 

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपी की याचिका खारिज
  • हनुमान जंयती के जुलूस के दौरान हुई थी हिंसा

दिल्ली हाई कोर्ट ने जहांगीरपुरी में इस साल हनुमान जयंती पर हुई झड़पों के कथित मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक की याचिका को खारिज कर दिया है. आरोपी का कहना था कि उसे जांच की आड़ में दिल्ली पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है. 

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न्यायमूर्ति आशा मेनन ने शेख इशराफिल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को आरोपी के परिजनों के मन में डर पैदा नहीं करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये याचिका जांच को विफल करने के लिए दायर की गई थी और ये अग्रिम जमानत की मांग कर रही है.  

अदालत ने 2 जून को अपने आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता ने अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन की मांग की है. उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि वह भी अपने कर्तव्यों का पालन करेगा और पुलिस को अपराध को सुलझाने और अपराधियों को पकड़ने में मदद करेगा." न्यायमूर्ति मेनन ने जोर देकर कहा कि "अदालत खुद को इस तरह से इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकती है जिससे जांच में हस्तक्षेप हो सकता है" और वर्तमान मामला ऐसा नहीं लगता है कि पुलिस केवल उन्हें परेशान करने के लिए पार्टियों से संपर्क कर रही है. 

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कोर्ट ने खारिज की याचिका

अदालत ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका एक फिशिंग प्रकार की प्रतीत होती है और वो अग्रिम जमानत की मांग कर रही है. इसमें कोई दम नहीं है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया है कि वह संबंधित स्थल पर 500 लोगों के साथ मौजूद था. हालांकि किसी अन्य कारण से उसकी छत पर कुछ सामग्री मिली थी और उसके बड़े बेटे को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. इसमें कहा गया है कि पुलिस का कर्तव्य है कि वह कानून-व्यवस्था की स्थिति पर निगरानी रखे और अपराधों को रोकें और यदि कोई अपराध किया गया है, तो जांच करना और अपराधी को बुक करना उनका बाध्य कर्तव्य है.  

आपसी सौहार्द बिगाड़ने की साजिश 

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की गहरी साजिश रची थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ और निडर होकर जीने का मौलिक अधिकार है और इसलिए पुलिस को उसे और उसके परिवार को परेशान करने से रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह कुछ दिन पहले अपने पिता की मृत्यु से संबंधित संस्कारों के लिए जहांगीरपुरी ईदगाह में मौजूद थे. 
दिल्ली के जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक नागरिक घायल हो गया था.
 

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