जामिया से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल के सामने शुक्रवार को कई सीनियर वकील पेश हुए. गुरुवार को जामिया मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस के उठते समय वकीलों ने कोर्ट रूम के अंदर 'शेम-शेम' के नारे लगाए गए थे.
इस पर सीनियर वकीलों ने कहा कि जामिया मामले से जुड़े याचिकाकर्ताओं को जब हाईकोर्ट से कोई रिलीफ नहीं मिला और जस्टिस उठकर जा रहे थे, तभी कोर्ट रूम में 'शेम-शेम' के नारे लगने शुरू हुए.
सीनियर वकीलों ने कहा कि यह न्याय का मंदिर है और वकीलों को इसका अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, इस तरह की हरकतों को कोर्ट द्वारा रोकना बेहद अनिवार्य है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि हम इस मामले को देखेंगे.
सभी पक्षकारों को नोटिस
बता दें कि गुरुवार को जामिया से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में एक ज्यूडिशियल कमीशन का गठन कर इंक्वॉयरी उसको सौंप दी जाए, लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की कोई मांग मानने के बजाय इस मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस कर दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार भी शामिल है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 फरवरी तक के लिए टाल दी थी.
गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया, 'पुलिस गलत तरीके से यूनिवर्सिटी में अंदर घुसी और आंसू गैस के गोले छोड़े. इस दौरान छात्रों को चोटें आईं. यूनिवर्सिटी के चीफ प्रोक्टर ने पुलिस को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी थी, तकरीबन 52 छात्रों को गंभीर चोट आई. पुलिस ने हिरासत में लिए गए छात्रों को चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध नहीं कराई.'
याचिकाकर्ताओं ने कहा, 'हम मांग करते हैं कि किसी रिटायर्ड जज से कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए. पुलिस को छात्रों के खिलाफ कार्रवाई से रोका जाए. छात्रों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताब किया गया है. याचिका में कहा गया कि पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बल प्रयोग किया. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि एक छात्र को गोली लगी है. एक छात्र की आंख चली गई, लेकिन पुलिस कह रही है कि गोली नहीं चलाई गई.'