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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई जहांगीरपुरी में बुलडोजर पर रोक, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर अब कल सुनवाई

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में संपत्तियों पर बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. बुधवार को जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग भी की गई थी.

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जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने को लेकर पहुंची बुलडोजर.
जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने को लेकर पहुंची बुलडोजर.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी
  • दो दिन पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका

दिल्ली के जहांगीरपुरी में फिलहाल बुलडोजर नहीं चलेगा, किसी तरह की कोई तोड़फोड़ भी नहीं होगी. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाके में यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया ्है. मामले को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन पहले एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें यूपी, एमपी और गुजरात में संपत्तियों पर बुलडोजरिंग की बात कही गई थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया कि इसमें जहांगीरपुरी केस को भी जोड़ लिया जाए और तत्काल सुनवाई की जाए. 

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मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने MCD के इस कदम को असंवैधानिक, अनैतिक और गैर कानूनी व मनमाना बताते हुए इसे रोकने और पीड़ित पक्ष की सुनने की गुहार लगाई. दवे ने कहा कि कम से कम 10 दिन पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था. अचानक आदेश देकर 24 घंटे से भी कम समय में ये कार्रवाई अमानवीय और अनुचित है.

वहीं, देशभर में कई राज्यों में चलाए जा रहे बुलडोजर की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस की कोर्ट में मेंशन किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेंशनिंग के दौरान अंतरिम आदेश देते हुए MCD की कार्रवाई पर रोक लगा दिया. अब मामले की अगली सुनवाई गुरुवार यानी कल होगी. वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील एडवोकेट शाहरुख आलम ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजरिंग पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं. इसके बाद कार्यवाहक सीजे विपिन सांघी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को मामले की जानकारी है तो हम इसे नहीं सुनेंगे.

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो अर्जियां लगाई हैं. एक याचिका देश के कई राज्यों में बुलडोजर चलाने, मानवाधिकारों और बुनियादी अधिकारों का हनन बताते हुए दाखिल की गई है जबकि दूसरी याचिका जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलाने का आदेश जारी होने के बाद दाखिल की गई है.

जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से तर्क दिया गया है कि कानून के तहत अपराध के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाने की अनुमति नहीं है. कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अतिक्रमण हटाया जा सकता है लेकिन जब तक सभी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, तब तक आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है.

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि राज्यों को आदेश दें कि अदालत की अनुमति के बिना किसी के घर या दुकान को गिराया नहीं जाएगा. याचिका में केन्द्र सरकार के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य की सरकारों को पार्टी बनाया गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की तरफ से इमदादी कमेटी के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी ने याचिका दायर की है.

अमित शाह को भी लिखा था पत्र

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले जमीयत उलेमा ए हिंद ने गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था. इस चिट्ठी में उन्होंने अमित शाह से कहा है कि खरगोन में अब मुस्लिमों के घरों और बाकी सम्पत्तियों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है जो एक चिंता का विषय है. पत्र में कहा गया कि मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है. 

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बता दें कि बीते कुछ वक्त से उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर से कार्रवाई जारी है. इसमें उनकी अवैध संपत्तियों को बुलडोजर की मदद से गिराया गया था. अब इसी महीने मध्य प्रदेश के खरगोन में जब रामनवमी पर हिंसा हुई तो उसके बाद वहां भी ऐसा ही किया गया. इसके बाद गुजरात से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आईं. बुलडोजर वाले एक्शन के खिलाफ भी आवाजें उठ रही हैं. विपक्षी दलों आदि का कहना है कि इसमें निर्दोषों और दोषी साबित होने से पहले भी एक्शन लिया जा रहा है. 


 

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