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35 साल पुरानी जनकपुरी रामलीला पर लगा स्टे दिल्ली हाईकोर्ट ने हटाया

दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जनकपुरी के पार्क में रामलीला के आयोजन को हरी झंडी दे दी है .

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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जनकपुरी के दशहरा ग्राउंड में इस साल भी रामलीला का आयोजन पिछले सालों की तरह ही होगा. दरअसल, 5 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने जनकपुरी के डिस्ट्रिक्ट पार्क में किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम को करने पर रोक लगा दी थी. डीडीए को पार्क में ऐसे कार्यक्रमों की इजाजत देने से दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रोक लगा दी थी. लेकिन मंगलवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए जनकपुरी के पार्क में रामलीला के आयोजन को हरी झंडी दे दी है .

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 1983 से लगातार हो रही 35 साल पुरानी रामलीला को इस साल होने दें और अगले साल तक डीडीए रामलीला कमेटी को पार्क से हटकर कोई और जगह रामलीला कराने के लिए मुहैया कराएं. जहां पर हजारों लोगों को  इसी तरह बिठाने की व्यवस्था हो.

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क्या है रामलीला की खासियत?

जनकपुरी की इस रामलीला को देखने के लिए हजारों लोग आते हैं. इस पार्क में 35 हजार लोगों को एक साथ बैठाया जा सकता है. जनकपुरी की रामलीला को उत्तर भारत की श्रेष्ठ रामलीला में से एक गिना जाता है. तकरीबन 1 हफ्ते तक चलने वाली इस रामलीला में हर रोज पूरी रामलीला का मंचन किया जाता है. जबकि बाकी और रामलीलाओं में हर रोज कुछ-कुछ हिस्सों में रामलीला का मंचन होता है.

क्या है विवाद?

जनकपुरी में सालों से हो रही रामलीला पर विवाद उस वक़्त खड़ा हो गया जब आरडब्ल्यूए के लोगों ने कहा कि डीडीए पार्क में किसी भी तरह के धार्मिक सामाजिक या व्यक्तिगत आयोजन की इजाजत नहीं दी जा सकती है. यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है. आरडब्ल्यूए के लोगों की शिकायत थी कि इस तरह के आयोजन से न सिर्फ ध्वनि प्रदूषण होता है. बल्कि पार्क में गंदगी होने की वजह से आम लोग उसका इस्तेमाल भी नहीं कर पाते.

बता दें कि कुछ वक्त पहले इसको लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट भी इसी तरह के आदेश दे चुका था.लिहाज़ा इस याचिका के दिल्ली हाईकोर्ट में आने के बाद विवादित पार्क में रामलीला का आयोजन पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहकर स्टे लगा दिया था कि डीडीए रामलीला को कराने की इजाजत नहीं देगा.

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अगस्त में आए इस आदेश को रामलीला कमेटी ने दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी. रामलीला कमेटी की तरफ से पेश हुए वकील संजीव नासियार ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह 35 साल पुरानी रामलीला है. और इसे एक साथ रोकना लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा.

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