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जनलोकपाल बिल पर विपक्ष का पत्र, कहा- जनता को धोखा दे रहे केजरीवाल

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता तथा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और जगदीश प्रधान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर, सदन से वॉकआउट किया और मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर धरना देकर अपना विरोध प्रकट किया

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विजेंद्र गुप्ता
विजेंद्र गुप्ता

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जनलोकपाल बिल जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील जनहित मसले पर दिल्ली सरकार के गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील रवैये पर विपक्ष ने गहरा रोष प्रकट किया है. विपक्ष ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर मांग की है कि जनलोकपाल बिल की फाइल को अविलम्ब सदन के पटल पर रखा जाए और जो भी तथ्य हैं, वो सदन के माध्यम से जनता के समक्ष लाए जाएं.

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और जगदीश प्रधान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर, सदन से वॉकआउट किया और मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर धरना देकर अपना विरोध प्रकट किया.

विजेंद्र गुप्ता ने विधानसभा के नियम 54 के अंतर्गत भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के लिए जानबूझकर जनलोकपाल बिल की फाइल रोकने का इल्जाम लगाया और इससे उत्पन्न हुई स्थिति पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की अनुमति न दिए जाने का पुरजोर विरोध किया. उनके साथ विपक्षी दल के मनजिंदर सिंह सिरसा व जगदीश प्रधान भी प्रस्ताव पर चर्चा किए जाने की मांग करने लगे. विपक्ष काफी समय तक विधानसभा अध्यक्ष से लोकपाल बिल पर चर्चा की मांग करता रहा, लेकिन अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी. इसके विरोध में विजेंद्र गुप्ता, मनजिंदर सिंह सिरसा व जगदीश प्रधान ने सदन से वॉकआउट किया.

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CM को पत्र लिखकर कहा- आपके गैरजिम्मेदाराना रवैये से दिल्ली की जनता आहत

सदन से वॉकआउट करने के बाद वो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलकर विरोध प्रकट करने विधानसभा स्थित उनके कक्ष में गए. केजरीवाल की अनुपस्थिति में उन्होंने मुख्यमंत्री के कमरे के बाहर बैठकर विधानसभा की कार्यवाही चलने तक विरोध करते रहे. मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में उन्होंने संयुक्त रूप से लिखा कि जनलोकपाल जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील जनहित मसले पर आपके गैरजिम्मेदाराना रवैये से दिल्ली की जनता आहत हुई है.

फाइल को लेकर हुई घपलेबाजी का सारा मामला आपके संज्ञान में था, इसके बावजूद भी सदन को और सदन के माध्यम से दिल्ली की जनता को गुमराह किया गया. हम इसकी कड़ी भर्तसना करते हैं, यह जनता के साथ गहरा विश्वासघात है. दिल्ली की प्रबुद्ध जनता ने इसे भ्रष्टाचार से मुक्ति का एक सशक्त माध्यम माना था. दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी पर विश्वास कर आपको बहुमत देकर दिल्ली की कमान सौंपी थी लेकिन दुख की बात है कि आप जनता के विश्वास पर खरे नहीं उतरे.

'अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही सरकार'

विपक्ष ने लिखा कि जनलोकपाल बिल से लोगों में आस जगी थी कि अब भ्रष्टाचार का अंत होने जा रहा है, परंतु आपके वर्तमान कार्यकाल के तीन साल बीत जाने बाद इस बिल की जो दुर्गति सामने आई है, उससे आपकी साख को भारी धक्का लगा है. बीते 9 महीने से यह फाइल आपके पास बेवजह पड़ी है. यह शर्म की बात है कि आपकी पूरी सरकार लोकपाल बिल को लेकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है. उप-मुख्यमंत्री तथा प्रशासनिक सुधार मंत्री दोनों ही फाइल को लेकर बगलें झांक रहे हैं, सारा मामला आपके संज्ञान में है. इसके बावजूद भी आपकी तरफ से जानबूझकर देरी की जा रही है.

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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में 4 दिसंबर 2015 को दिल्ली जनलोकपाल बिल 2015 पारित कर दिल्लीवासियों में एक नई आस जगाई थी. जल्दबाजी में आपने इसको अपनाने व पारित करवाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. विपक्ष ने लिखा कि दिल्ली जनलोकपाल बिल 2015 को लेकर आपके गृह मंत्रालय से कई बार स्पष्टीकरण हेतु फाइल की मूवमेंट हुई. 14 सितंबर 2017 को केंद्र सरकार द्वारा यह फाइल आपके पास स्पष्टीकरण के लिए भेजी गई.

उन्होंने केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्येन्द्र जैन, दिल्ली जल बोर्ड के घोटालों को उजागर न होने देने के लिए आपने कमर कस रखी है. इसके चलते आपने भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की. विपक्ष ने मुख्यमंत्री से मांग की कि जनलोकपाल बिल की फाइल को अविलम्ब सदन के पटल पर रखा जाए और जो भी तथ्य हैं वह सदन के माध्यम से जनता के समक्ष लाए जाएं, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की मंशा साफ है कि वह जिस जन लोकपाल बिल को लेकर लड़े थे अब उसी बिल्कुल आने से डर रहे हैं क्योंकि केजरीवाल को पता है कि अगर यह बिल आया तो उनके साढू के रिश्तेदार और सत्येन्द्र जैन जेल जाएंगे.

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जाहिर है जिस मुद्दे जन लोकपाल को लेकर अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन किया और उस आंदोलन की नाव पर सवार होकर सत्ता के शिखर तक पहुंचे, अब उसी जन लोकपाल बिल को लेकर विपक्ष में बैठी बीजेपी केजरीवाल की राह पर चलकर धरना दे रही है और मुख्यमंत्रीमनीष सिसोदिया कह रहे हैं कि उन्हें धरना देने दीजिए वह महज ड्रामा कर रहे हैं.

तो अब यह तय है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जनलोकपाल की मांग को लेकर जिस तरह से सियासी जंग चल रही है वह कहीं ना कहीं दर्शाती है कि जनलोकपाल अब इमानदारी की बजाय अब महज एक सियासी टूल होकर रह गया है.

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