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JNU: कन्हैया कुमार ने डॉक्टरी परामर्श के बाद समाप्त की भूख हड़ताल

जेएनयू कैंपस में नौ फरवरी को हुए विवादास्पद कार्यक्रम के मामले में यूनिवर्सिटी की तरफ से दोषी छात्रों को दंड सुनाया गया है, जिसके खिलाफ छात्रों ने भूख हड़ताल की है.

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कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार

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जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की दंडात्मक कार्रवाई के खि‍लाफ छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली है. उन्होंने चिकित्सकीय कारणों से यह कदम उठाया है, जबकि अन्य छात्रों की भूख हड़ताल शनिवार को 10वें दिन भी जारी है.

गौरतलब है कि जेएनयू कैंपस में नौ फरवरी को हुए विवादास्पद कार्यक्रम के मामले में यूनिवर्सिटी की तरफ से दोषी छात्रों को दंड सुनाया गया है, जिसके खिलाफ छात्रों ने भूख हड़ताल की है. हालांकि अभी तक भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों में से छह ने अनशन खत्म कर दी है, जबकि 14 अन्य की हड़ताल अभी भी जारी है. 9 फरवरी के कार्यक्रम में कथित रूप से भारत विरोधी नारेबाजी की गई थी.

डॉक्टर ने दी है आराम करने की सलाह
इससे पहले देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा हुए कन्हैया को शरीर में पानी की कमी और कीटोसिस के उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. जेएनयू छात्र संघ ने एक बयान में कहा, 'कन्हैया कल रात परिसर में वापस आ गए और उनके स्वास्थ्य को देखते हुए चिकित्सकों ने उन्हें भूख हड़ताल नहीं करने की सलाह दी हैं. उन्हें कुछ दिनों तक बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी गई है. अभी उनकी मेडिकल जांच भी होनी हैं. उन्होंने भूख हड़ताल वापस ले ली, लेकिन वह आंदोलन जारी रखेंगे.'

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समर्थन में उतरे शिक्षक और पूर्व छात्र
दूसरी ओर, भूख हड़ताल पर बैठे अन्य छात्रों की स्वास्थ्य रिपोर्टों में कीटोन के उच्च स्तर, निम्न रक्तचाप और वजन में कमी का जिक्र किया गया है. जेएनयू शिक्षक संघ ने प्रशासन के खिलाफ विरोध में शनिवार को रिले भूख हडताल का आह्वान किया है. यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र भी विरोध कर रहे छात्रों के साथ शामिल होंगे और शनिवार शाम एक मानव श्रृंखला बनाएंगे.

प्रशासन ने की बातचीत के लिए आगे आने की मांग
विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार को यह कहते हुए छात्रों और अध्यापकों को बाहरी लोगों को आमंत्रित नहीं करने की अपील की थी कि इससे परिसर में शैक्षणिक माहौल और शांति की स्थिति बिगड़ सकती है. प्रशासन ने छात्रों से यह भी कहा कि वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से आक्रामक कदम उठाने से बचें और बातचीत व चर्चा के लिए आगे आएं.

जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार ने इससे पहले कहा था कि भूख हड़ताल गैरकानूनी गतिविधि है. उन्होंने छात्रों से अपील की थी वे संवैधानिक माध्यमों का इस्तेमाल करके अपनी मांगें रखें.

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