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EXCLUSIVE: हटाया गया था JNU में 'देशद्रोही' नारेबाजी के पांचवें आयोजक का नाम

इंडिया टुडे के हाथ लगे मामले से जुड़े एक्सक्लूसिव दस्तावेज यानी इजाजत की मूल कॉपी में आयोजकों में से पांचवां नाम हटा दिया गया था. बड़ा सवाल यह है कि आयोजकों को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

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बड़ा सवाल है कि आखिर वह पांचवा शख्स कौन है?
बड़ा सवाल है कि आखिर वह पांचवा शख्स कौन है?

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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में नौ फरवरी को हुए आयोजन पर हुआ विवाद अब भी जारी है. इस आयोजन के लिए डीएसयू से जुड़े पांच छात्रों ने प्रशासन से इजाजत ली थी. मानव संसाधन विकास विभाग को भेजे गए स्टेटस रिपोर्ट में चार छात्रों के नाम ही दर्ज हैं. तो फिर पांचवां कौन है?

इंडिया टुडे के हाथ लगे एक्सक्लूसिव दस्तावेज
इंडिया टुडे के हाथ लगे मामले से जुड़े एक्सक्लूसिव दस्तावेज यानी इजाजत की मूल कॉपी में आयोजकों में से पांचवां नाम हटा दिया गया था. बड़ा सवाल यह है कि आयोजकों को इसकी जरूरत क्यों पड़ी? इससे भी बड़ा सवाल है कि आखिर वह पांचवा शख्स कौन है?

किसके दम पर आयोजन कर पाया मामूली संगठन
जेएनयू प्रशासन से डीएसयू ने कविताओं और लेखकों पर चर्चा के लिए इजाजत मांगी थी तो फिर आखिरी वक्त में इस आयोजन को कोई दूसरा शीर्षक कैसे दिया गया. कार्यक्रम बदलने की जानकारी मिलने पर प्रशासन की ओर से इजाजत वापस ले लिए जाने के बाद भी अफजल गुरु और मकबूल बट से जुड़ा आयोजन किस दम पर कर लिया गया, जबकि बताया जाता है कि जेएनयू में इस संगठन की कोई खास अहमियत नहीं है.

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कौन है इजाजत के आवेदन से हटाया पांचवा नाम
इजाजत मांगने के लिए दिए गए आवेदन में आयोजकों के नाम की जगह उमर खालिद, कोमल, अनिर्बाण और अश्वथी का नाम साफ दिख रहा है, वहीं पांचवा नाम हटा दिया गया है. क्या यह पांचवा नाम इस भारत विरोधी नारेबाजी को बाहर से ताकत दे रहा था. आखिरी वक्त में आयोजन का मकसद बदलने के पीछे यही नाम हो सकता है. विवाद इतना बढ़ जाने के बाद इस नाम का सामने आना बेहद जरूरी हो गया है.

वीडियो की प्रमाणिकता पर बोले रजिस्ट्रार
इसके पहले इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रो. भुपिंदर जुत्शी ने वीडियो की प्रमाणिकता और आयोजन पर कार्रवाई को लेकर खास जानकारी दी. उन्होंने अपनी बातों से जुड़े सबूत भी पेश किए. संयोग से जुत्शी कश्मीरी हैं. उन्होंने ये सात अहम बातें कही -

1. दोषियों की वीडियो की प्रमाणिकता पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं वह गलत है. यह वीडियो रिकॉर्डिंग प्रशासन ने खुद कराई थी, जब हमें पता चला कि परमिशन नहीं होने के बावजूद अफजल गुरु को लेकर यह कार्यक्रम हो रहा है.
2. हमें ना सिर्फ इस घटना की खुद वीडियो रिकॉर्डिंग कराई थी, बल्कि इसके बारे में एक रिपोर्ट भी तैयार की थी. यह रिपोर्ट और वीडियो दोनों हमने पुलिस को सौंप दी है.
3. हमने कार्यक्रम की परमिशन रद्द कर दी थी. हमें पता चला कि आपत्तिजनक पर्चे बांटे जा रहे हैं तब हमने अपनी टीम वहां भेजी थी.
4. पुलिस को जेएनयू में आने देना हमारी मजबूरी थी, क्योंकि पुलिस ने हमें जो चिट्ठी थी भेजी थी, इसमें साफ-साफ देशद्रोह का जिक्र था. ऐसे गंभीर आरोप के बाद अगर हम पुलिस को रोकते तो हमारे ऊपर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती थी.
5. हमने अपनी जांच करके 8 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की है. जो कमिटी बनाई गई है वह भी अपना काम कर रही है. पुलिस किसको गिरफ्तार करती है और किसको छोड़ती है इस पर हमारा कोई बस नहीं है.
6. पुलिस जिन लोगों को खोज रही है और हमने जिसकी पहचान की है, उनमें से ज्यादातर नाम कॉमन हैं.
7. सभी राजनीतिक पार्टियों से हमारी अपील है कि वह यहां नहीं आएं. यह बात सही है कि इस मामले से जेएनयू की काफी बदनामी हो गई है.

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