जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्र यूनियन अध्यक्ष आइशी घोष पर प्रशासन ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही जेएनयू प्रशासन ने उन्हें चेतावनी भी दी है कि अगर उन्होंने आगे भी ऐसा किया तो यूनिवर्सिटी से निष्कासित भी किया जा सकता है. जेएनयू प्रशासन के इस फैसले का छात्रसंघ ने बयान जारी कर विरोध जताया है.
यह पूरा मामला सात अप्रैल का है, जब शिप्रा हॉस्टल के वार्डन ने रात करीब एक बजे से लेकर साढ़े तीन बजे तक हॉस्टल की जांच की. आरोप है कि इस दौरान JNUSU प्रेसिडेंट और अन्य छात्रों द्वारा वार्डन के साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिसकी शिकायत प्रशासन को दी गई. इसके बाद प्रशासन ने इस मामले में प्रॉक्टेरियल जांच के आदेश दिए. 10 अगस्त को प्रशासन की ओर से पत्र जारी कर आइशी घोष को दोषी मानते हुए उनपर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके साथ ही दोबारा ऐसा न करने की हिदायत भी दी गई.
आइशी घोष को चेतावनी दी गई अगर उन्होंने आगे भी ऐसा किया तो उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित भी किया जा सकता है. इसके अलावा जुर्माने की रकम को 10 दिन यानी कि 20 अगस्त तक जमा करने का आदेश दिया गया. जेएनयूएसयू अध्यक्ष को मिली इस सजा का लेफ्ट समर्थक छात्र विरोध कर रहे हैं. वो इस सजा को प्रशासन की दादागिरी बता रहे हैं.
10 दिन में जमा करें जुर्माना
जेएनयू प्रशासन ने आइशी घोष को 10 दिन में जुर्माना भरने का आदेश दिया था, लेकिन अब छात्रसंघ इस नोटिस के विरोध में प्रशासन को घेरने की तैयारी कर रहा है. इसको लेकर जेएननयू छात्रसंघ की ओर से बयान भी जारी किया गया है.
JNUSU ने जारी किया बयान
जेएनयूएसयू की ओर से कहा गया है कि चीफ प्रॉक्टर कार्यालय और शिप्रा हॉस्टल वार्डन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और तानाशाही रवैये की निंदा करता है. हमारी मांग है कि जेएनयू प्रशासन छात्रों पर मनमाने ढंग से लगाए गए सभी अन्यायपूर्ण जुर्माने को तुरंत रद्द करे.
जेएनयूएसयू उन छात्रों के प्रति भी अपनी पूरी एकजुटता प्रदर्शित करता है जो जेएनयू प्रशासन द्वारा इस तरह की मनमानी सजाओं का सामना कर रहे हैं. हम छात्र समुदाय से भी अपील करते हैं कि वे संघी प्रशासन के ऐसे सभी छात्र विरोधी और लोकतंत्र विरोधी प्रयासों का एकजुट होकर विरोध करें.
(इनपुट- अमरदीप कुमार)