जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों ने एक बार फिर प्रशासनिक भवन (एडमिन ब्लॉक) पर धावा बोल दिया. यूजीसी के नोटिफिकेशन के खिलाफ जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में धरने पर बैठे छात्र किसी भी अधिकारी को एडमिन ब्लॉक में जाने नहीं दे रहे हैं.
छात्रों ने की यूजीसी का आदेश वापस लेने की मांग
इन छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर जारी इस नोटिफिकेशन को तत्काल वापस लिया जाए और जब तक ऐसा नहीं किया जाता उनका धरना जारी रहेगा. उनका कहना है कि यूजीसी के इस आदेश से जेएनयू के कई सेंटर में दाखिले की सीटें कम हो जाएंगी.
जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की महासचिव सतरूपा चक्रवर्ती ने कहा, हमलोग पिछले एक महीने से इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं और संशोधन तब भी लाया गया. एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों में सीटों की कटौती की संभावना से आंदोलन और तेज हुआ है.' उन्होंने कहा, 'इस संबंध में कुलपति के साथ मुलाकात की मांग को लेकर विभिन्न विभागों के छात्र वहां पर जमा हुए. जब तक हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया जाएगा छात्र यहां से नहीं जाएंगे.'
नोटिफिकेशन के खिलाफ 98% छात्र
चक्रवर्ती बताती हैं कि यूजीसी नोटिफिकेशन पर जेएनयू छात्रसंघ ने जनमत संग्रह कराया है, जिसमें 98% छात्रों ने नोटिफिकेशन लागू किए जाने के खिलाफ मतदान किया है. वह कहती हैं, 'यूजीसी का नोटिफिकेशन वापस लेने के साथ ही हमारी मांग है कि लिखित परीक्षा के अंक 90 और वायवा के 10 किए जाएं.'
जेएनयू प्रशासन बोला- दाखिले में नहीं की गई कमी
हालांकि जेएनयू प्रशासन ने दाखिले में भारी कटौती से जुड़ी रिपोर्ट्स को पहले खारिज किया है. विश्वविद्यालय ने कहा कि किसी भी स्कूल या प्रमुख शिक्षा संस्थान की शैक्षिक सीटों में कमी नहीं की गई है. विश्वविद्यालय के रेक्टर चिंतामणि महापात्रा ने कहा, 'इस तरह की कोई घोषणा विश्वविद्यालय से नहीं की गई है. हमने विद्यार्थियों के दाखिले में कोई कमी नहीं की है. ऐसी सारी खबरें झूठी हैं.'
नोटिफिकेशन में छात्रों की संख्या सीमित करने की सिफारिश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नोटिफिकेशन में पीएचडी और एमफिल जैसे पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या सीमित करने की सिफारिश की गई है. इस दिशानिर्देश में एक प्रोफेसर के लिए पीएचडी के अधिकतम आठ विद्यार्थी, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए छह विद्यार्थी और सहायक प्रोफेसर के लिए तीन विद्यार्थी निर्धारित हैं. इसी तरह एम.फिल के उम्मीदवारों के मामले में प्रोफेसर के लिए तीन, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए दो और सहायक प्रोफेसर के लिए एक विद्यार्थी निर्धारित है. ऐसे में इसके लागू होने पर भविष्य में लंबी अवधि तक इन पाठ्यक्रमों में कोई प्रवेश नहीं हो पाएगा.