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नकाबपोश लोगों ने की तोड़फोड़, शरारती तत्वों से निपटने के लिए उठाए कदम: JNU

दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फिर हिंसा भड़क उठी. इस दौरान कुछ नकाबपोश लोगों ने साबरमती और अन्य हॉस्टल में घुसकर तोड़फोड़ की और पथराव किया.

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नकाबपोश लोगों ने साबरमती और अन्य हॉस्टल में घुसकर की तोड़फोड़
नकाबपोश लोगों ने साबरमती और अन्य हॉस्टल में घुसकर की तोड़फोड़

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  • JNU विश्वविद्यालय में नकाबपोश लोगों ने की मारपीट
  • हॉस्टल में घुसकर किया पथराव, कैंपस में पुलिस मौजूद

दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फिर हिंसा भड़क उठी. इस दौरान कुछ नकाबपोश लोगों ने साबरमती और अन्य हॉस्टल में घुसकर तोड़फोड़ की और पथराव किया. इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी का कहना है कि कुछ नकाबपोश लोग जेएनयू कैंपस में घुस आए और लोगों पर हमला किया. इसके साथ ही संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया.

जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि शरारती तत्वों से निपटने के लिए कदम उठा लिए गए हैं. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को बुलाया गया है. साथ ही जेएनयू ने छात्रों को धैर्य बनाए रखने और अलर्ट पर रहने के लिए कहा है. लोगों का कहना है कि किस तरह से इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी कैसे लोग कैंपस में घुसे और मारपीट की, जबकि कैंपस में मीडिया तक को एंट्री जल्दी नहीं मिल पाती है.

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जेएनयू प्रशासन ने हिंसा पर दोबारा बयान भी जारी किया. प्रशासन की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जेएनयू कैंपस के भीतर शाम को हिंसा हुई. प्रशासन कैंपस में हुई हिंसा की पुरजोर निंदा करता है. जेएनयू प्रशासन घायल छात्रों के प्रति सहानुभूति रखता है, घायल छात्रों की स्थिति से प्रशासन दुखी है.

जेएनयू कैंपस में एक बार फिर जमकर हिंसा हुई है. जेएनयू छात्र संघ (JNUSU)  का दावा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हिंसा को अंजाम दिया है. जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष आइशी घोष पर भी हमला किया गया. इस हमले में आइशी घोष के सिर में गंभीर चोट आई है.

जेएनयू हिंसा पर प्रशासन का बयान

जेएनयू की ओर से कहा गया है कि एक जनवरी 2020 को विंटर सेशन की शुरुआत हो रही थी. सब कुछ ठीक चल रहा है. 3 जनवरी को छात्रों के एक समूह ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया. यह समूह कम्यूनिकेशन एंड इनफर्मेशन सर्विस(सीआईएस) परिसर में चेहरा ढककर दाखिल हुआ. इस समूह ने टेक्निकल समूह को जबरन बाहर निकाल दिया, जिससे सर्वर बंद हो गया. छात्रों की पहचान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.

4 जनवरी को फिर सीआईएस को टेक्निकल स्टाफ ने फिर से चालू कर दिया. जैसे ही सर्वर ठीक हुआ, छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर दिया. जिन छात्रों ने पहले सर्वर बंद किया था, फिर आपराधिक नियत से कैंपस में दाखिल हो गए. उन्होंने पॉवर सप्लाई को ठप कर दिया. ऑप्टिकल फाइबर्स को तबाह किया.

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जनवरी को दोपहर 1 बजे फिर से सर्वर को नुकसान पहुंचाया गया. फिर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई. इसके बाद 5 जनवरी को हिंसा भड़की, कुछ विरोध कर रहे लोगों ने हॉस्टल में पहुंचकर मारपीट की.

jnu-vc-latter_010520093746.jpgजेएनयू प्रशासन का पत्र

इससे पहले एबीवीपी के छात्र नेताओं ने भी आरोप लगया कि जेएनयू के पेरियार छात्रावास के छात्रों के साथ वामपंथी छात्रों ने मारपीट कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया. एबीवीपी की जेएनयू यूनिट के अध्यक्ष दुर्गेश का दावा है कि करीब चार से पांच सौ वाम सदस्य पेरियार छात्रावास में इकट्ठा हुए, यहां तोड़फोड़ कर जबरन घुसपैठ की और अंदर बैठे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को पीटा.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने लेफ्ट के छात्र संगठनों एसएफआई, आइसा और डीएसएफ पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर हमला करने का आरोप लगाया है. एबीवीपी की जेएनयू यूनिट के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने कहा, 'जेएनयू में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर लेफ्ट के छात्र संगठनों एसएफआई, आइसा और डीएसएफ से जुड़े करीब 400 से 500 लोगों ने हमला किया है. इस हमले में एबीवीपी से जुड़े करीब 18 छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं.

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