जेएनयू हिंसा के खिलाफ लेफ्ट विंग के छात्र सड़कों पर उतर आए हैं. छात्रों ने जेएनयू कैंपस से मंडी हाउस और जंतर मंतर तक मार्च निकाला. इसके बाद गुरुवार शाम होते-होते छात्रों का हुजूम राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने लगा, जिसको दिल्ली पुलिस ने रोक दिया. गुरुवार को विरोध मार्च के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी देखने को मिली, जिसमें एक छात्र घायल हो गया है.
जेएनयू छात्र संघ वाइस चांसलर जगदीश कुमार को हटाने की मांग कर रहा है. जेएनयू छात्र संघ का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति भवन के लिए निकाले जा रहे शांतिपूर्ण मार्च को पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई रोक नहीं सकती है.
Note - Police brutality will not stop our peaceful procession to Rashtrapati Bhavan. We will make our demand heard - #VCHatao
— JNUSU (@JNUSUofficial) January 9, 2020
इस दौरान जेएनयू छात्र संघ ने दिल्ली पुलिस पर प्रदर्शनकारी महिलाओं को हिरासत में लेने का आरोप लगाया. साथ ही दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि आखिर सूरज डूबने के बाद महिला पुलिस अधिकारियों के बिना दिल्ली पुलिस ने महिला प्रदर्शनकारियों को हिरासत में कैसे लिया?
इस दौरान जेएनयू के 8 छात्रों का प्रतिनिधिमंडल अपनी शिकायतों को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहुंचा. इसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने कहा कि जेएनयू विवाद को सुलझाने की हर संभव कोशिश की जा रही है.
वहीं, जेएनयू में 5 जनवरी की रात हिंसा फैलाने वाले नकाबपोश गुंडे अभी तक गिरफ्त में नहीं आए हैं. दिल्ली पुलिस तेज तफ्तीश का दावा तो कर रही है, लेकिन हिंसा करने वाले अभी तक दबोचे नहीं जा सके हैं. जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने भी इस हिंसा की जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है.
जेएनयू के छात्रों का विरोध मार्च और बीजेपी की विजय अभियान रैली
गुरुवार को जब जेएनयू से छात्रों का हुजूम अपनी अलग-अलग मांगों के साथ मंडी हाउस की ओर मार्च निकाल रहा था, तो बीजेपी ने दिल्ली चुनाव जीतने के लिए विजय अभियान रैली शुरू की. दिल्ली की सड़कों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने लंबी चौड़ी बाइक रैली निकाली. काफिले में सैकड़ों की भीड़ मौजूद थी.
दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और इसमें दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के अलावा दिग्गज नेता विजय गोयल भी शामिल हुए. दिल्ली में मौसम चुनाव का है, लिहाजा बाइक रैली की अहमियत बीजेपी के लिए ज्यादा बन जाती है, क्योंकि इसका सीधा संबंध बीजेपी के चुनावी अभियान से है.