जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के वाइस चांसलर के पीआरओ चिंतामणि महापात्रा ने 5 जनवरी की हिंसा को सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया है. उन्होंने कहा कि हमला करने वाले सभी नकाबपोश लोग बाहर से आए थे. मुझे भी कुछ समय के लिए डर महसूस हुआ. शिक्षक और अधिकारी भी चिंतित हैं. महापात्र ने कहा, हमारा लक्ष्य वापस स्थिरता लाने और सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को शुरू करना है. रजिस्ट्रेशन का विरोध कानून के दायरे में और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए. हम छात्रों से अपनी हड़ताल वापस लेने की अपील करते हैं.
Chintamani Mahapatra,Rector-I/Transparency Officer,JNU: Our goal is to bring back stability&start semester registration process.Protests should be under limits of law&keeping interests of students in mind.Appeal to students to withdraw their strike(against hostel manual&fee hike) pic.twitter.com/8ByIHGraJV
— ANI (@ANI) January 7, 2020
रविवार की शाम कुछ नकाबपोशों ने जेएनयू परिसर में घुसकर छात्र-छात्राओं और प्रोफेसरों पर लाठी-डंडों व रॉड से हमला किया. इस हमले में करीब 35 छात्र व प्राध्यापक घायल हुए हैं. हिंसा के बाद पुलिस ने परिसर के चारोंओर भारी बल तैनात कर दिया और पास के बाबा गंगनाथ मार्ग को बंद कर दिया.
आइशी घोष पर एफआईआर
उधर दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष और 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. उन पर 4 जनवरी को सुरक्षा गार्ड पर हमला करने और सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने का आरोप है. यह मुकदमा जेएनयू प्रशासन की शिकायत पर दर्ज किया गया है. एफआईआर 5 जनवरी को दर्ज की गई थी. इस बीच जेएनयू हिंसा को लेकर पुलिस की शुरुआती जांच रिपोर्ट से बड़े खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, हिंसा में लेफ्ट और एबीवीपी कार्यकर्ता शामिल थे और दोनों पक्षों ने अपने चेहरे ढंके हुए थे.
जेएनयू में हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है. पुलिस की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि नकाब पहनकर जिन लोगों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में हिंसा की थी उनमें अखिल भारतीय विद्या परिषद (एबीवीपी) और लेफ्ट के कार्यकर्ता ही शामिल थे. इन्हीं नकाबपोशों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में तबाही मचाई थी, जिसमें 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे.