दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त आम आदमी पार्टी ने दिल्ली शहर में 10 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का वायदा किया था, लेकिन सत्ता में आने के तीन साल बाद भी अब तक यह वादा पूरा नहीं किया गया. हाल ही में कैबिनेट ने ऐलान किया कि महिला सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली सरकार डीटीसी और कलस्टर की 6350 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने जा रही है. निर्भया फंड से लगने वाले इस प्रोजेक्ट में करीब 140 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. प्रत्येक बस में 3-3 कैमरे लगेंगे.
प्रोजेक्ट की राशि पर पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि 140 करोड़ रुपये के 6350 कैमरे लगाए जा रहे हैं. एक कैमरे की कीमत 2,20,472 रुपये है. इस ट्वीट के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक टीवी इंटरव्यू भी सोशल मीडिया पर शेयर किया. केजरीवाल वीडियो में कह रहे हैं कि वे 2 हजार रुपये प्रति कैमरा लगाएंगे , जो कि वाई-फाई युक्त होगा. इसके खर्च की पूरी गणना उन्होंने कर ली है. पत्रकार ने पूछा कि खर्च तो काफी अधिक आता है, इस पर सीएम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की तर्ज पर कैमरे नहीं लगाए जाएंगे. उनका 90 प्रतिशत पैसा भ्रष्टाचार में चला जाता है. वहीं मौका मिलते ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता चतर सिंह ने भी केजरीवाल पर सवाल दागा कि ईमानदारी की बात करने वाले केजरीवाल अब बताएं कि कितना करप्शन उन्होंने किया है.
कपिल मिश्रा ने बताया सीसीटीवी घोटाला
दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि 2000 का कैमरा दो लाख में पड़ रहा है, जाहिर है बीच का पैसा सत्येंद्र जैन के पास जाने वाला है. कपिल ने कहा कि ये अरविंद केजरीवाल का सीसीटीवी घोटाला है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की यह मंशा पूरी नहीं होने देंगे. इसकी शिकायत भी जांच एजेंसियों को सौंपी जाएगी. पूर्व मंत्री ने कहा कि चुनावी वादों के मुताबिक दिल्ली सरकार को कुल 15 लाख कैमरे लगाने हैं. इनकी
कीमत कुल 33 हजार करोड़ रुपये बैठेगी. यह खर्च कैसे निकलेगा? इस संदर्भ में जब आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज से पूछा तो उन्होंने कहा कि मामले की पूरी जानकारी उन्हें नहीं है.
जाहिर है चुनावी वादे करते वक्त अरविंद केजरीवाल ने साफ कहा कि 2000 रुपये में एक सीसीटीवी कैमरा उनको मिलेगा और इसका सारा हिसाब उन्होंने लगा लिया है. लेकिन सत्ता में आते ही यह सीसीटीवी कैमरा 2000 रुपये से बढ़कर दो लाख रुपये कैसे हो गया. इसका जवाब अभी तक दिल्ली सरकार से नहीं मिल पाया है.