कपिल मिश्रा ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को एक पत्र लिखा. दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन हंगामे और स्पीकर की ओर से आम आदमी पार्टी के दो नेताओं को तीस दिन के लिए जेल भेजने का आदेश देने के बाद उनका यह पत्र सामने आया है. पढ़िए पूरा पत्र...
श्री रामनिवास गोयल जी
अध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा
विषय-
1. कुछ विधायको व बाहरी तत्वों द्वारा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की विधानसभा के अंदर हत्या का प्रयास करने पर मामला दर्ज करने हेतु
2. बिना सुनवाई व बात किये अन्याय पूर्ण तरीके से दो आंदोलनकारियों को तथाकथित अपराध से हजारों गुना ज्यादा सजा सुनाए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार हेतु
3. सदन परिसर में, कुछ विधायकों व बाहरी लोगों द्वारा एक महिला के साथ अमर्यादित व्यवहार की सारी सीमाओं का उल्लंघन की जांच हेतु
आदरणीय अध्यक्ष महोदय
कल विधानसभा में जो कुछ हुआ, वो लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में लिखा जाएगा. दो आंदोलनकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्शक दीर्घा से आवाज उठाते है. कुछ पर्चे फेंकते है, जिन पर स्पष्ट लिखा होता है कि ये अहिंसात्मक प्रयास है. किसी को नुकसान नहीं पहुंचना चाहते और मुख्यमंत्री व मंत्री के भ्रष्टाचार से नाराज है. इन दोनों को मार्शल पकड़ कर सदन से बाहर ले जाते हैं. इसके बाद जो कुछ हुआ, वो दुनिया में कभी नहीं हुआ.
सदन से कुछ विधायक बाहर निकलते हैं. मार्शलों के बीच से उन्हें खींचते हैं. बाहर से लोगो को विधानसभा की बिल्डिंग में बुलाया जाता है. बाहर से आये बीस आदमियों के साथ मिलकर इन दोनों को मारते हैं. एक कमरे में ले जाकर बन्द करते है और उन्हें लगभग आधे घंटे तक मारते रहते हैं. हालात इतने गंभीर हो जाते है कि मुझे 100 नम्बर पर कॉल करके पुलिस को बुलाना पड़ता है. इसी बीच एक महिला को मारा पीटा जाता है. उसके साथ छेड़छाड़ व बदतमीजी की जाती हैं. मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दी जाती हैं. केवल इसलिए कि इन विधायकों को शक होता है कि ये महिला शायद आंदोलनकारियों के साथ है.
अत्याचार व अन्याय का अंत यहीं नहीं होता, इसके बाद सदन में एक प्रस्ताव आता है कि इन दोनों आंदोलनकारियों को 30 दिन को जेल भेज दिया जाएं. प्रस्ताव में वोटिंग व्हिप की बाध्यता में कराई जाती है, जिसके कारण कोई विधायक विरोध भी न कर सके. सदन में हत्या का प्रयास और फिर 30 दिन की जेल. ऐसा कौन-सा अपराध किया है इन दोनों ने. ना इनकी सुनवाई हुई, न इन्हें अपनी बात कहने का मौका दिया गया. ऐसा तो कानून में आतंकवादियों के साथ भी नहीं होता.
मामले की सुनवाई के बिना सजा कैसी? जब भगत सिंह ने संसद में बम फेंका था, तब भी उन्हें संसद में तो नहीं मारा गया था. संसद में, विधानसभाओं में जनता द्वारा आवाज उठाना पहले भी कई बार हुआ है. इसी दिल्ली विधानसभा में शीला सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने खुद दर्शक दीर्घा से नारे लगाए थे. तब भी न विधायकों ने हमला किया था, ना ऐसी कोई अन्यायपूर्ण सजा दी गई थी. आज एक विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर इतिहास आपको भी परख रहा है.
आपसे अनुरोध है कि इनको दी गई सजा पर पुनर्विचार किया जाए. सदन में दोनों को बुलाकर सारे सदन के सामने सुनवाई की जाएं. भरी विधानसभा
में सुनवाई की जाएं. उनकी बात भी सजा देने से पहले सुनी जाएं. जिस महिला के साथ बदतमीजी व अमर्यादित व्यवहार हुआ है, उसको भी न्याय देने की जिम्मेदारी हमारी विधानसभा की है. कल की सारी CCTV फुटेज सदन के सदन के अंदर और बाहर की तुरंत सीज की जानी चाहिए अन्यथा हत्या के प्रयास व महिला से दुर्व्यवहार के महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो जाएंगे. ये सबूत नष्ट न हो ये जिम्मेदारी स्वयं सभापति महोदय की है. अतः आपसे अनुरोध है कि स्वस्थ व निष्पक्ष लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन व निर्वहन करते हुए मेरे तीनों अनुरोधों को स्वीकार किया जाये.
आपका
कपिल मिश्रा
विधायक