दिल्ली सरकार के दो मंत्रियों के साथ कथित तौर पर की गयी तीखी बहस में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ यदि कार्रवाई नहीं की गयी तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनकी कैबिनेट के सभी मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के सभी विधायक सोमवार से केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे.
दिल्ली सरकार में मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘यदि पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की हमारी मांग नहीं मानी गयी तो हम सोमवार की सुबह 11 बजे से गृह मंत्रालय कार्यालय के बाहर धरने पर बैठेंगे.’ सिसोदिया ने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ हुई बैठक में केजरीवाल ने उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिन्होंने दो दिन पहले दक्षिण दिल्ली में एक कथित वेश्यावृति गिरोह पर छापेमारी करने में कानून मंत्री सोमनाथ भारती से सहयोग करने से इंकार कर दिया था.
‘आप’ की सरकार ने उस पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की, जिसने महिला एवं बाल विकास मंत्री राखी बिड़ला से पश्चिम दिल्ली के सागरपुर में बहस की थी. मंगलवार को डेनमार्क की एक पर्यटक से हुए सामूहिक बलात्कार के मामले से निपटने में दिल्ली पुलिस के रवैये को लेकर भी मुख्यमंत्री ने पुलिस पर ठीकरा फोड़ा.
शिंदे के साथ हुई बैठक में केजरीवाल ने मालवीय नगर पुलिस थाने के एसएचओ और दो सहायक पुलिस आयुक्तों (एसीपी) को निलंबित करने की भी मांग की.
बिड़ला से कहासुनी करने के लिए सागरपुर पुलिस थाने के एसएचओ को भी निलंबित करने की मांग की गयी.
अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से कहा है कि यदि उनका मंत्रालय सोमवार की सुबह 10 बजे तक चारों पुलिसकर्मियों को निलंबित नहीं करता है तो वह अपने कैबिनेट के मंत्रियों और अपने विधायकों के साथ 11 बजे से नॉर्थ ब्लॉक के बाहर धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे. सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजधानी में गंभीर अपराधों, खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों, की बढ़ती घटनाओं के बारे में भी गृह मंत्री को बताया.
केजरीवाल ने ‘गंभीर स्थिति’ से निपटने के दिल्ली पुलिस के तौर-तरीके को ‘बेरूखी’ करार दिया.
मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को शहर के अलग-अलग इलाकों में हुई हाल की उन दो घटनाओं के बारे में भी बताया जिसमें दिल्ली पुलिस और अपराधियों की कथित साठगांठ थी.
केजरीवाल ने राजधानी में हुए सिलसिलेवार अपराधों से जुड़ा एक पत्र भी शिंदे को सौंपा.
एक अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को अपने नागरिकों के लिए राजधानी को सुरक्षित बनाने में दिल्ली पुलिस की बेरूखी के बारे में बताया.’ मुख्यमंत्री ने दिल्ली की जनता से धरने में शामिल होने की अपील की है. उन्होंने खास तौर पर उन लोगों से धरने में शामिल होने की अपील की जो पुलिस के ‘असहयोगी और गैर-पेशेवर’ रवैये से परेशान हैं.
शिंदे को लिखे गए पत्र में केजरीवाल ने ‘बिना किसी देरी’ के दिल्ली पुलिस का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग काफी लंबे समय से होती रही है. इस पत्र के जरिए, मैं कहना चाहता हूं कि बिना किसी देरी के दिल्ली पुलिस का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपा जाए.’ पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि दिल्ली में कोई अपराध होता है तो दिल्ली के लोग राज्य सरकार से सवाल करते हैं न कि गृह मंत्री से.
केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली के लोगों की अपेक्षाएं केंद्र सरकार की बजाय दिल्ली की चुनी हुई सरकार से होती है.’ भारती और बिड़ला की संलिप्तता वाली दो घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये मामले ‘साफ तौर पर संकेत देते हैं कि दिल्ली पुलिस का नियंत्रण दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दे दिया जाए.’ इससे पहले, दिन में केजरीवाल और उनके कैबिनेट सहकर्मी राखी बिड़ला, सोमनाथ भारती और मनीष सिसोदिया ने उप-राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की जहां दिल्ली पुलिस के आयुक्त बी एस बस्सी भी उन चार पुलिस अधिकारियों के साथ मौजूद थे जिनके खिलाफ केजरीवाल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
करीब एक घंटे चली बैठक में केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया और संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
उप-राज्यपाल ने मामलों की उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया पर बस्सी ने पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग को मानने से इनकार कर दिया.
एक संवाददाता सम्मेलन में सिसोदिया ने पुलिस की इस दलील को मानने से इंकार कर दिया कि बिना किसी पुख्ता आधार के वह किसी के परिसर में छापेमारी नहीं कर सकती.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस जब जहां चाहे बिना किसी वारंट के घुस जाती है. पर सेक्स और ड्रग रैकेट के खिलाफ कार्रवाई से इनकार कर देती है.’