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सुप्रीम कोर्ट में अधिकारों की 'जंग' लड़ेगी केजरीवाल सरकार, ये है रणनीति

हाई कोर्ट के फैसले में उप राज्यपाल को दिल्ली का सर्वे-सर्वा बताया गया है. ऐसे में अधिकारों की लड़ाई को मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए दिल्ली सरकार ने बड़े वकीलों की फौज तैयार की है.

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल

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दिल्ली में राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारों के मामले को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए, केजरीवाल सरकार नामचीन वकीलों के साथ रणनीति तैयार कर रही है. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उन बिंदुओं को खंगालने की कोशिश की जा रही है, जो दिल्ली सरकार के पक्ष को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत कर सके.

दिल्ली हाई कोर्ट सुना चुकी है फैसला
दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारों के विवाद को लेकर चल रही लड़ाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 अगस्त को 194 पेजों का फैसला दिया. इनमें से कई ऐसे फैसले हैं, जिन्हें केजरीवाल सरकार की लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है.

ये हैं हाई कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:
1. दिल्ली के उप राज्यपाल , दिल्ली मंत्रिमंडल की सलाह और फैसले मानने के लिए बाध्य नहीं हैं.
2. दिल्ली सरकार अगर कोई भी फैसला लेती है, तो उसे उप राज्यपाल की अनुमति लेना जरूरी है.
3. अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार से बाहर है.
4. केंद्र का 21 मई, 2015 का नोटिफिकेशन सही है. एसीबी को लेकर केंद्र सरकार का 23 जुलाई, 2014 का नोटिफिकेशन सही, जिसमें एसीबी को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई ना करने की बात कही गई थी.
5. एसीबी को दिल्ली सरकार के अधीन नहीं बताया गया था.
6. दिल्ली सरकार द्वारा CNG फिटनेस स्कैम और डीडीसीए में हुए वित्तीय घोटाले को लेकर बनाई गई जांच कमेटी अवैध है क्योंकि उपराज्यपाल की सहमति इसमें नहीं ली गई.
7. दिल्ली सरकार का 4 अगस्त, 2015 का कृषि जमीन का सर्कल रेट बढ़ाने का फैसला अवैध है.

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फिर कैसे काम करेगी दिल्ली सरकार?
सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के सवाल पर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने 'आजतक' से कहा कि 'हमारे कानूनी जानकार सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेंगे. सवाल ये है कि जनता द्वारा चुनी सरकार को महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न पर कमीशन बनाने का अधिकार नहीं है. स्कूल, अस्पताल और झुग्गी बनाने के लिए जमीन नहीं है, तो सरकार कैसे काम करेगी.'

दिल्ली सरकार ने तैयार की बड़े वकीलों की फौज
हाई कोर्ट के फैसले में उप राज्यपाल को दिल्ली का सर्वे-सर्वा बताया गया है. ऐसे में अधिकारों की लड़ाई को मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए दिल्ली सरकार ने बड़े वकीलों की फौज तैयार की है. सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील केके वेणुगोपाल, गोपाल सुब्रमण्यम, पीपी राव, राजीव धवन, इंद्रा जयसिंह, दयान कृष्णन, गुरुकृष्ण कुमार जैसे नाम सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की पैरवी करते नजर आ सकते हैं.

लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रही है पार्टी
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह का कहना है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए अगर एसीबी सरकार के पास नहीं रहेगी, तो रिश्वतखोरों पर कैसे कार्रवाई होगी. हमारी सुप्रीमेसी की लड़ाई नहीं, बल्कि डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है और लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय इन मामलों का संज्ञान लेगा. आम आदमी पार्टी का मानना है कि काम करने के लिए एक सरकार के पास जो न्यूनतम अधिकार होने चाहिए, वो नहीं रहेंगे, तो सरकार काम नहीं कर पाएगी.

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