दिल्ली सरकार विधायकों के लिए दफ्तर बनाने और उनके रख-रखाव का खर्च खुद उठाएगी. सरकार ने इसके लिए विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में जगह तलाशने के लिए कहा गया है. इस संबंध में 25 जून को एक पत्र लिखा गया था.
सरकार ने लिखा है, 'दफ्तर आकार में 700-1000 वर्ग फुट में होना चाहिए. वह ऐसे स्थान पर स्थित होना चाहिए जहां पर जनता को आने-जाने में आसानी हो. इसके लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे, कर्मचारी, फर्नीचर और उपकरण जैसे कम्प्यूटर, फैक्स आदि दिल्ली विधानसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा.'
नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा, 'AAP नेताओं पर जनता का धन लुटाया जा रहा है. पहले सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहे थे, अब सुविधाओं की. जनता का पैसा कैसे अपनी जेब में जाए, इसकी तैयारी की जा रही है.'
AAP प्रवक्ता दिलीप पांडे का कहना है कि आम आदमी पार्टी के विधायक आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं. ऐसे में जनता की सेवा के लिए सुविधाएं तो चाहिए ही. उनकी सेवा के लिए कई तरह के खर्चे आते हैं. ऑफिस की जरूरत है, वहां काम करने वाले लोगों की जरूरत है.
दोगुनी सैलरी की मांग
पिछले ही हफ्ते आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने सरकार से अपनी सैलरी दोगुनी करने की मांग की है. अभी विधायकों को करीब 84 हजार रुपए हर महीने मिलते हैं, जिसमें पानी, बिजली और दूसरे खर्चों के लिए पैसा दिया जाता है. अब सरकार ने विधानसभा क्षेत्र में ही ऑफिस और स्टाफ देने का फैसला कर लिया है .
सुविधाएं नहीं लेने का किया था वादा
बताते चलें कि चुनाव के पहले आम आदमी पार्टी ने गाड़ी, बंगला और सरकारी सुविधाएं नहीं लेने का दावा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार के फैसले कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. सरकार पहले ही अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना चुकी है. कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को मंत्रियों के स्टाफ में सरकारी तनख्वाह पर नियुक्ति मिल चुकी है.