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दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल: केजरीवाल सरकार ने लगाए आरोप, सुप्रीम कोर्ट में गृह सचिव ने किया खंडन

दिल्ली सरकार ने आरोप लगाए थे कि अधिकारी सरकार की मीटिंग में मौजूद नहीं होते हैं. न सिर्फ मीटिंग में गैरहाजिर रहते हैं, बल्कि योजनाओं पर अमल करवाने में भी अपेक्षित सहयोग नहीं करते. इस मामले में गृह सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जवाब दिया है कि दिल्ली सरकार के आरोप गलत और अधारहीन हैं.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल की जंग काफी पुरानी चलती आई है. हाल ही में दिल्ली सरकार ने आरोप लगाए थे कि अधिकारी सरकार की मीटिंग में मौजूद नहीं होते हैं. न सिर्फ मीटिंग में गैरहाजिर रहते हैं, बल्कि योजनाओं पर अमल करवाने में भी अपेक्षित सहयोग नहीं करते. 

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इस मामले में गृह सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जवाब दिया है कि दिल्ली सरकार के आरोप गलत और अधारहीन हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को ही इस मामले की सुनवाई बड़ी पीठ के सामने कराने की दलील देते हुए इसे मेंशन किया था. हालांकि दिल्ली सरकार इस मामले को और बड़ी पीठ के सामने भेजने के खिलाफ है. 

'फोन नहीं उठाते हैं अधिकारी'

दिल्ली सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के हलफनामे के जवाब में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से दाखिल जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि ये आरोप भी गलत है कि अधिकारियों को मंत्री फोन करते हैं तो वे फोन उठाते नहीं. पलट कर फोन भी नहीं आता.

सभी आरोपों को ठहराया गलत

साथ ही गृह सचिव ने कहा कि दिल्ली सरकार के आरोपों की जांच में ये पाया गया कि कुछ मीटिंग में एकाध अधिकारियों को छोड़ कर सभी अधिकारी मौजूद थे. साथ ही यह भी कहा गया कि जिस खास तारीख का जिक्र सिसोदिया ने अपने हलफनामे में किया है उस दिन सरकार ने ही उस अधिकारी को दूसरे काम की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इस वजह से वो मीटिंग में मौजूद नहीं थे. केंद्रीय गृह सचिव ने कहा है कि किसी खास अधिकारी या एकाध मीटिंग को टारगेट कर कुछ भी लिखना उचित नहीं है.

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