दिल्ली में प्याज की बढ़ती कीमतों पर दिल्ली सरकार की बड़ी लापरवाही सामने आई है. नाफेड और केन्द्रीय कृषि मंत्रालय़ ने सरकार को अप्रैल और मई के दौरान तीन चिट्ठियां लिखकर कहा था कि वो चाहे तो सस्ते दर पर प्याज खरीदकर रख सकते हैं. कीमत भी महज 19 रुपए किलो. लेकिन दिल्ली सरकार ने प्याज नहीं खरीदी.
नैफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर की मानें तो अप्रैल और जून में लिखी चिट्ठियों का जवाब भी नहीं दिया. और आखिरकार दिल्लीवालों को मजबूर होना पड़ा 60 रुपए किलो प्याज खरीदने के लिए.दिल्ली सरकार का इस पूरे मामले पर बयान दिल्ली वालों के मंहगाई के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. दिल्ली के खाद्य और वितरण विभाग के मंत्री आसिम खान का कहना है कि नैफेड 19 रुपए किलो प्याज दे तो हम आज लेने को तैयार हैं.
वहीं नैफेड के डायरेक्टर नामित अशोक ठाकुर आजतक के कैमरे पर खुलकर बोल रहे हैं कि अप्रैल से इसी बात के लिए चिट्ठी दिल्ली सरकार को लिखी जा रही है कि मॉनसून में आलू और प्याज की कीमतों पर अस्थिरता आती है. लिहाजा केंद्र सरकार की पीएसएफ यानी प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के तहत नासिक की लासलगांव मंडी में, जहां नैफेड ने प्याज खरीद कर स्टॉक की है, वहां से दिल्ली सरकार किसानों को दी जा रही कीमत पर ही प्याज खरीद ले.
तो 25 रुपये होती कीमत
ठाकुर के मुताबिक 19 से 20 रुपए प्रतिकिलों के बीच मिलने वाली प्याज अगर नासिक से दिल्ली लाकर भी बेची जाती तो भी परिवहन, भंडारण और वितरण 5 से 6 रुपए ही आता और दिल्ली वालों को प्याज कम से कम 25 से अधिकतम 30 रुपए प्रति किलो मिल सकती थी. लेकिन समय रहते दिल्ली सरकार ने ना तो प्लानिंग की और ना ही नैफेड की चिट्ठियों का जवाब दिया.
दिल्ली सरकार ने अपनी सफाई में एक प्रेस रिलीज जारी की है जिसमें लिखा है कि नैफेड को प्याज की कीमतों पर भ्रम फैलाने वालों को रोकना चाहिए. दिल्ली सरकार ने नैफेड से मांग भी की है कि दिल्ली को नैफेड बताए कि वो किस कीमत पर प्याज बेचने को तैयार थी. दिल्ली सरकार अपनी सफाई में 24 जुलाई की चिट्ठी का जिक्र तो कर रही है लेकिन 13 अप्रैल और 18 जून की जो चिट्ठी हमने एक्सक्लूसिव्ली आजतक पर दिखाई है उस पर सरकार के पास कहने को कुछ नहीं है.
विपक्ष ने साधा निशाना
वहीं राज्य बीजेपी समय रहते प्याज ना स्टॉक करने के लिए सरकार पर निशान साध रही है. बीजेपी के नेता कुलजीत चहल का कहना है कि ये दिल्ली सरकार के अहंकार का एक बड़ा सबूत है. जिस केंद्र सरकार के खिलाफ वो पोस्टरवार चला रही है आखिर उससे ही प्याज कैसे खरीदे. जाहिर है दिल्ली सरकार को अपने अहं की चिंता है लेकिन दिल्ली की जनता की जेब की नहीं.
बहरहाल, सवाल सिर्फ समय रहते प्याज का स्टॉक करने का नहीं है बल्कि ये भी है कि आखिर क्यों समय रहते केजरीवाल सरकार ने नैफेड की चिट्ठियों का जवाब नहीं दिया. सवाल तो ये भी है कि अगर दिल्ली 60 रुपए किलो पर प्याज खरीदने को मजबूर है तो उसकी जवाबदेह क्या दिल्ली सरकार नहीं है?
यहां गौर करने की बात ये भी है कि फिलहाल दिल्ली सरकार 40 रूपये प्रति किलो के दर से राशन की दुकानों के जरिये सोंमवार से लोगों को सस्ता प्याज मुहैया कराने जा रही है. सरकार का दावा है कि ये वही प्याज है जो नासिक के एसएफएसी यानी स्मॉल फॉर्मर एग्री बिजनेस कन्सॉर्टियम से खरीदी गयी है. आखिरी सवाल ये, कि साहब, जब नासिक से ही प्याज खरीदनी थी तो नैफेड भी तो यही सुझाव अप्रैल से आपको दे रहा था. आखिर समय रहते उनकी बात सुनी क्यों नहीं?