जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठकों से पहले दिल्ली सरकार ने व्यापारियों की जरूरतों को समझने के लिए अलग-अलग व्यापारिक संगठनों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है. इसी के चलते सोमवार को पेपर मर्चेंट एसोसिएशन के साथ एक सेमिनार का आयोजन किया गया.
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सेमिनार में व्यापारियों को बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठकों में एक-एक प्रोडक्ट पर चर्चा होनी चाहिए. इस बात पर भी चर्चा होनी चाहिए कि फलां प्रोडक्ट को किस स्लैब में रखने से क्या फायदे हैं और क्या नुकसान. हमने अपने बजट में कोई टैक्स नहीं बढ़ाया, बल्कि कई प्रोडक्ट पर हमने टैक्स कम किए. अब चूंकि जीएसटी लागू हो रहा है तो फैसला नेशनल लेवल पर होगा लेकिन दिल्ली की तरफ से हमारा पूरा जोर रहेगा कि जितना मिनिमम टैक्स रहे, क्योंकि मैक्सिमम टैक्स रखने पर चोरी होगी और रिश्वतखोरी बढ़ेगी, इंस्पेक्टरों की कमाई होगी, जो व्यापारी औऱ ग्राहक दोनों के ऊपर भारी पड़ेगा.
पेपर मर्चेंट एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि सभी प्रकार के पेपर व बोर्ड को जीएसटी की 12 प्रतिशत की कैटेगरी में रखा जाए. अभी तक एजुकेशनल बुक्स औऱ कॉपियों पर टैक्स नहीं लगता है. इसके अलावा इनपुट आउटपुट का डिफरेंस कैरीफॉरवर्ड होना चाहिए। साथ ही दिल्ली में टैक्स की लाइबिलिटी विक्रेता व्यापारी की होनी चाहिए.