दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गर्मी में प्रदूषण से निपटने के लिए सोमवार को पर्यावरण, डीपीसीसी, डीडीए, एमसीडी, फायर सर्विस, डूसिब, राजस्व सहित तमाम संबंधित विभागों के साथ संयुक्त बैठक की. जिसमें फैसला लिया गया कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए विंटर एक्शन प्लान की तरह समर एक्शन प्लान बनाएगी.
गोपाल राय ने 'आजतक' को बताया कि समर एक्शन प्लान के तहत अप्रैल से सितंबर तक की तात्कालिक और दीर्घकालिक योजना बनाकर उसको लागू किया जाएगा. सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि एक सप्ताह के अंदर समर एक्शन प्लान सरकार को देंगे. अगली बैठक 11 अप्रैल को बुलाई गई है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण एक बड़ी चुनौती के रूप में हर समय मौजूद रहता है. 'आम आदमी पार्टी' की सरकार बनने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए लगातार काम किए हैं. उन तमाम उपायों के परिणाम स्वरूप दिल्ली के अंदर प्रदूषण के स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण के स्तर को लेकर सीएससी, टेरी सहित कई एजेंसी ने पूर्व में रिपोर्ट में रखी, जिसमें दिल्ली के प्रदूषण स्तर के जो सोर्स हैं, उसमें 31 फीसदी दिल्ली के अंदर का प्रदूषण होता है, जबकि 69 फीसदी प्रदूषण एनसीआर के आसपास का होता है. जिसका असर दिल्ली में रहने वाले लोगों पर भी पड़ता है. दिल्ली के अंदर प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार स्थाई समाधानों के साथ-साथ तात्कालिक समाधानों पर काम करती रही है. उसके परिणाम 2018 से 2022 तक के डाटा एनालिसिस से समझे जा सकते हैं.
इस विश्लेषण के अनुसार, साल 2018 में वायु गुणवत्ता स्तर (एक्यूआई) की सेटेस्फेक्ट्री श्रेणी में 53 दिन थे, जो कि अब 2021 में बढ़कर 72 हो गए हैं. मॉडरेट श्रेणी में 2018 में 106 दिन थे, अब उसमें बढ़ोतरी होकर 125 दिन हो गए हैं. एक्यूआई स्तर की पुअर श्रेणी में 2018 में 114 दिन थे, वह घटकर 2021 में 82 दिन हो गए हैं. इसके अलावा, वैरी पुअर श्रेणी में 72 दिन से घटकर 61 दिन हो गए हैं. इस तरह दिल्ली में एक्यूआई की सेटिस्फेक्ट्री और मॉडरेट श्रेणी के दिन बढ़ रहे हैं और पुअर श्रेणी के दिन लगातार घट रहे हैं.
यह इस बात को दर्शा रहा है कि दिल्ली के अंदर जो लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, उसका असर दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में दिख रहा है. गोपाल राय ने कहा कि सर्दियों के दिनों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. जनवरी से दिसंबर तक का ग्राफ दिखाते हुए कहा कि जनवरी से मार्च तक प्रदूषण स्तर नीचे आता है और सितंबर से दिसंबर के बीच तेजी के साथ बढ़ता है। हम अक्टूबर से जो प्रदूषण स्तर बढ़ता है, उसको रोकने के लिए पिछले साल विंटर एक्शन प्लान बनाया था। विंटर एक्शन प्लान के तहत आपातकालीन स्थिति में क्या-क्या आकस्मिक कदम उठाए जा सकते हैं, उसका एक्शन प्लान बनाकर सरकार काम करती रही है.
उन्होंने कहा कि इस बार हमने तमाम विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया तो हमें महसूस हुआ कि विंटर एक्शन प्लान की सफलता के लिए हमें समर एक्शन प्लान पर भी काम करने की जरूरत है. उसको ध्यान में रखते हुए आज पर्यावरण विभाग, डीपीसीसी, डीडीए, एमसीडी, फायर सर्विस, डूसिब, राजस्व विभाग, डीएसआईडीसी, इरिगेशन एंड फ्लड डिपार्टमेंट सहित तमाम संबंधित विभागों के साथ संयुक्त बैठक की है. उस बैठक में फैसला लिया है कि सरकार विंटर एक्शन प्लान की तरह समर एक्शन प्लान बनाएगी.
उस एक्शन प्लान के तहत दिल्ली के प्रदूषण के नियंत्रण के लिए अप्रैल से सितंबर तक 6 महीने का तात्कालिक और दीर्घकालिक एक्शन प्लान बनाकर उसको लागू करने की तरफ काम करेंगे. उसके लिए सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि 1 हफ्ते के अंदर वह अपना समर एक्शन प्लान सरकार को देंगे. इसके बाद 11 अप्रैल को बैठक बुलाई गई है, जिसमें इन सभी विभागों के सुझावों के आधार पर अगले 6 महीने के लिए समर एक्शन प्लान सरकार का घोषित करेगी. जिस पर सरकार फोकस करके प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए गर्मियों में भी काम करेगी.
समर एक्शन प्लान तैयार करने के लिए 14 बिंदु तय किए गए हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए एक्शन प्लान बनाने के लिए विभागों को बोला गया है. इसमें ओपेन वर्निंग, रोड डस्ट प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अर्बन फार्मिंग, रोड साइड ग्रीन कवर बढ़ाना, ग्रीन पार्कों का विकास, वृक्षारोपण, दिल्ली में झीलों का विकास, सिटी फॉरेस्ट का विकास, इकोक्लब एक्टीविटीज, रियल टाईम अपोर्समेंट स्टडी, ई-वेस्ट इको पार्क, ट्री ट्रांस्प्लानटेशन की मॉनिटरिंग, रिप्लेसमेंट आफ सिंगल यूज प्लास्टिक शामिल हैं.