आम आदमी पार्टी सरकार ने अधिकारियों पर दवाब बनाने के लिए नया तरीका ढूंढ लिया है. सोमवार को दिल्ली विधानसभा में 'प्रोटोकॉल कमेटी' बनाने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया. इस कमेटी का चेयरमैन 'आप' विधायक सौरभ भारद्वाज को बनाया गया है. साथ ही इसमें 'आप' के 8 विधायक सदस्य के तौर पर जुड़े होंगे.
प्रोटोकॉल कमेटी को लोकसभा में अफसरों के खिलाफ शिष्टाचार के मामले निपटाने वाली एक कमेटी की तर्ज पर बनाया गया है. यह कमेटी विधायक द्वारा अफसर की बदतमीज़ी या अपमानजनक व्यवहार की शिकायत पर कार्रवाई करेगी.
अधिकारियों और विधायक, मंत्रियों के बीच शिष्टाचार पर चर्चा से पहले मुख्य सचिव अंशु प्रकाश, वित्त सचिव, गृह सचिव समेत सरकार के आला अधिकारी सदन के भीतर मौजूद रहे. दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने चर्चा के दौरान अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे.
चर्चा की शुरुआत करते हुए 'आप' विधायक सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि कई अधिकारियों ने विधानसभा कमेटी द्वारा अलग-अलग मामलों की जांच में साथ नहीं दिया.
सौरभ भारद्वाज के सदन में आरोप :-
1. जानकारी मांगी गई कि एक जनवरी 2016 और एक जनवरी 2018 तक दिल्ली सरकार में अक्षम अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
2. सहकारी बैंक में घोटाले के मामले में चीफ सेक्रेटरी को जानकरी दी गई, लेकिन अफसरों पर कोई कार्रवाई नही हुई? मिलीभगत के ज़रिए बैंक के डायरेक्टर चुने गए.
3. 19 जनवरी 2018 की विधानसभा कमेटी की रिपोर्ट में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ज़िक्र किया था, लेकिन अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया.
4. वक़्फ़ बोर्ड की करोड़ों की जमीन चोरी करने वाले केए फारुखी को अधिकारियों के सामने पेश किया. लेकिन मनीषा सक्सेना ने कमेटी में फारुखी को सर्वे सर्वा बना दिया, जिस पर चीफ सेक्रेटरी ने हैरानी जताई. इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की एक रिपोर्ट भी 19 जनवरी 2018 को पास हो चुकी है.
इस बीच, सदन की दर्शक दीर्घा में मौजूद मुख्य सचिव की तरफ इशारा करते हुए सौरभ भारद्वाज ने विवादित शब्द इस्तेमाल किए. भारद्वाज ने सदन में कहा "अंशु प्रकाश आप डूब मरिये, पूरी दिल्ली में चोरी चल रही है, और अधिकारियों को कोई फर्क़ नही पड़ता है. हम फ़ाइल पढ़ते हैं, गवाह लाते हैं और इनके नख़रे झेलते हैं. आखिर यह अधिकारी कैसे सैलरी ले सकते हैं?"
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि अफसर विधायकों के फोन कॉल, मैसेज का जवाब नहीं देते हैं. सौरभ ने सदन में कहा कि दिल्ली विधानसभा किसी के अधीन नहीं है. किसी अफसर की हैसियत नहीं है कि उससे टाइम मांगा जाए और वो अधिकारी मना कर दे. जनता का चुना हुआ नुमाइंदा अगर किसी अफसर के पास आ रहा है तो उसका सम्मान होना चाहिए. प्रोटोकॉल कहता है कि अगर विधायक किसी अफसर को कॉल करे और फोन नहीं उठाया गया तो असफर कॉल बैक करेंगे. अगर अधिकारी फोन नहीं उठा रहे तो उनके असिस्टेंट को कॉल कीजिए या फोन न उठाएं तो मैसेज भी कर सकते हैं.
सौरभ भारद्वाज ने मांग रखते हुए बताया कि 'प्रोटोकॉल कमेटी' के पास प्रिवेलज कमेटी के बराबर ताकत हो और यह कमेटी अफसर द्वारा किसी भी बदतमीजी को बर्दाश्त न करे. इस दौरान यह अपील भी की गई कि विधायक गलत भावना से किसी अफसर की शिकायत न करें.