आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के आरक्षण विवाद में कूद पड़े हैं. यूनिवर्सिटी की 12 हजार सीटों को स्थानीय छात्रों के लिए रिजर्व करने के प्रस्ताव को केजरीवाल ने चुनावी स्टंट करार दिया है.
केजरीवाल ने कहा कि चुनाव के समय ही शीला दीक्षित को इस प्रस्ताव की याद क्यों आई. उन्होंने पूछा है कि शीला सरकार ने नए कॉलेज क्यों नहीं खोले.
इस प्रस्ताव का डूटा (दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन) और कुछ छात्र नेता भी विरोध कर रहे हैं. उनकी दलील है कि डीयू एक सेंट्रलाइज्ड यूनिवर्सिटी है और सरकार चुनावी फायदा लेने के लिए ऐसे प्रस्ताव लेकर आई है.
कुछ लोगों का मानना है कि दिल्ली सरकार जिन कॉलेजों को फंड दे रही है, उसे डीयू से अलग करने की कोशिश हो रही है. ऐसे में डीयू की छवि धूमिल होगी.
बीजेपी ने भी सवाल उठाया है कि आखिर चुनाव के दौरान ही सरकार को आरक्षण की याद क्य़ों आ रही है. बीजेपी नेता डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, '15 साल के बाद इनको क्यों याद आता है इसी साल चुनाव है चुनाव के दौरान ही इन्हे चिंता हो रही है.'
मंगलवार को यह प्रस्ताव डीयू को भेजने के बाद दिल्ली के शिक्षा मंत्री एके वालिया ने कहा, 'हमने प्रस्ताव भेजा है, ताकि दिल्ली के छात्रों को मिले आरक्षण का फायदा मिले.' दिल्ली सरकार जिन कॉलेजों को अनुदान देती है उनमें दिल्ली के छात्रों को एडमिशन दिलाने की प्राथमिकता दिलाना चाहती है. इसके लागू होने पर सरकारी अनुदान मिलने वाले कॉलेजों में दिल्ली के छात्रों के लिए 90 फीसदी सीटें रिजर्व हो जाएंगी.