दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को धरने पर बैठने वाले हैं. अपनी मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में वो अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के दफ्तर के बाहर धरना देंगे. इसे भले ही नए नवेले मुख्यमंत्री केजरीवाल की धरना पॉलिटिक्स का नाम दिया जाए लेकिन उससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया को हथियार बनाकर ट्वीटर पॉलिटिक्स खेलना जरूर शुरू कर दिया है.
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीटर के जरिए भी दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय पर जमकर हमला बोला है. अपने धरने को लेकर केजरीवाल ने लोगों से अपील तक कर डाली है. गणतंत्र दिवस की तैयारियों के मद्देनजर मैं अपने समर्थकों और लोगों से अपील करता हूं कि वो धरने में न आएं. इसमे सिर्फ एमएलए ही शामिल होंगे इसलिए कृपया दूसरे लोग न आएं.
दिल्ली की आम जनता से अपील के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल अब अपने और अपने विधायकों के धरने के मुद्दे पर आते है. उन्होंने लिखा, ‘मैं अपने मंत्रियों और अपने विधायकों के साथ गृह मंत्रालय के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठूंगा. ये हम सब दिल्ली में महिला सुरक्षा के लिए कर रहे हैं.’
केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली पुलिस के बहाने ही गृह मंत्रालय के खिलाफ खुले खेल का ऐलान कर दिया है. ट्वीटर के जरिए उन्होंने सीधे-सीधे जनता से भी उनकी राय मांगी है. उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली में एक महिला जिंदा जलाई गई. एक आरोपी को छोड़ बाकी सभी आजाद हैं. स्थानीय एसएचओ ने उनकी गिरफ्तारी से इनकार कर दिया है. क्या उस एसएचओ को दंड नहीं दिया जाना चाहिए. दिल्ली में एक डेनिश महिला का गैंगरेप होता है तो इसके लिए क्या ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों को दोषी नहीं ठहराना चाहिए.’
केजरीवाल के ट्वीटर वार को देखकर सुनकर आसानी से समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी किस कदर गृह मंत्रालय और उसके अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस के कामकाज के तरीके से भन्नाई हुई है. दरअसल इस लड़ाई का असल मुद्दा ही दिल्ली पुलिस पर अधिकार और वर्चस्व का है जिसकी लगाम फिलहाल गृह मंत्रालय के पास है.