देश की राजधानी में ऑटो और टैक्सी यूनियन की हड़ताल बहुत से लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई. मंगलवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने ऑटो-टैक्सी को जबरन चक्का जाम किया तो रेल के लंबे सफर से थक हारकर लौट रहे मुसाफिरों की दिक्कतें बढ़ गईं.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर जनता को हड़ताल की वजह से कई परेशानियों की सामना करना पड़ा. बिहार से दिल्ली के अस्पताल में अपनी बेटी की खराब हो चुकी किडनी का इलाज कराने आए परिवार के ऊपर उस वक्त मुसीबत का पहाड़ टूट गया, जब ऑटो-टैक्सी चालकों ने अस्पताल जाने से ही मना कर दिया. हड़ताल की वजह से करीब 2 घंटे तक लड़की का परिवार साधन के लिए जद्दोजहद करता रहा.
मरीज को नहीं मिला साधन
लड़की के पिता साहिब सिंह ने बताया कि अपनी बेटी के साथ यहां पहुंचे तो हड़ताल के बारे में पता चला. बेटी की हालत इतनी नाजुक है की उसे व्हील चेयर पर बैठाया गया है. लड़की के भाई उदय कुमार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आसपास कई चक्कर काट चुके थे, लेकिन न ऑटो मिला, न टैक्सी.
हड़ताल में की मनमानी
हड़ताल का फायदा उठाते हुए बहुत से ऑटो-टैक्सी चालकों ने जमकर मनमानी की. पटना से दिल्ली आए विनीता झा को नेब सराय जाना था, लेकिन टैक्सी चालक ने 2000 रुपये की मांग कर दी. यही हाल पटना से दिल्ली आए विनोद ओझा के साथ हुआ जिन्हें चाणक्यपुरी तक जाना था लेकिन टैक्सी चालक ने 1200 रुपये की डिमांड कर उनके होश उड़ा दिए.
राजधानी में परिवहन व्यवस्था कमजोर
आपको बता दें कि दिल्ली में करीब 80 हजार ऑटो और 10 हजार से ज्यादा काली पीली टैक्सी हैं. रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस अड्डों के अलावा शहर के बड़े इलाकों ये आसानी से मिलने वाली सवारी हैं. जबकि दूसरी तरफ खुद दिल्ली की सरकार ये मान चुकी है कि राजधानी में परिवहन व्यवस्था बेहद कमजोर है. ऐसे में ऑटो-टैक्सी की हड़ताल आम जनता के लिए डबल मुसीबत बन जाती है.