खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का शीर्ष अधिकारी बताकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा में सेंध लगाने वाले किरणभाई पटेल की आज पुलिस रिमांड खत्म हो रही है. खुफिया इनपुट मिलने पर पुलिस ने उसे तीन मार्च को अरेस्ट किया था. आरोप है कि उसने केंद्र शासित प्रदेश में शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकें कीं. इतना ही नहीं LOC के साथ ही कई अहम स्थानों का दौरा किया और सरकारी आतिथ्य का आनंद भी उठाया. उसे एक लक्जरी होटल में कमरा भी दिया गया था.
आरोपी के परिवार ने जताई राजनीतिक साजिश की आशंका
इस मामले में किरणभाई पटेल के वकील रेहान गोहर का कहना है कि उनके मुवक्किल ने बताया कि उनके साथ एक और शख्स था. पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज किए और उक्त शख्स को पुलिस ने छोड़ दिया. किरण के परिवार ने बताया है कि इससे पहले एक बार जब वो (किरण) कश्मीर गए थे, तब सरकार की ओर से प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन हुआ था. इसमें राजनीतिक साजिश दिख रही है. वहीं, किरण के बयान के अनुसार, उस पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. मामले की जांच चल रही है.
गुजरात के अहमदाबाद का रहने वाला है आरोपी
बता दें कि खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का एडिशनल डायरेक्टर बताने वाला किरण पटेल अहमदाबाद का रहने वाला है. वो जेड प्लस सुरक्षा लेकर कश्मीर में घूम रहा था. पुलिस का आरोप है कि केंद्र शासित प्रदेश में गैरकानूनी काम किया है. उन संवेदनशील स्थानों का दौरा किया है, जहां आम आदमी नहीं जा सकता है. उसके पास से दस फर्जी विजिटिंग कार्ड और दो मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं. आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है.
सीआईडी विंग ने पुलिस को दो मार्च को दी थी सूचना
गौरतलब है कि 2 मार्च को जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग ने एक संदिग्ध के बारे में पुलिस को सूचना दी थी. इस पर एसएसपी श्रीनगर ने उसे पकड़ने के लिए एसपी पूर्वी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया. अगले दिन यानी कि तीन मार्च को पुलिस ने किरणभाई पटेल को पकड़ा. पूछताछ के दौरान पुलिस को उसकी गतिविधियां और बातें संदिग्ध लगीं. इस पर उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया.
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शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकें कर चुका है
पुलिस का आरोप है कि किरणभाई पटेल ने खुद को पीएमओ का एडिशनल डायरेक्टर बताया. इतना ही नहीं केंद्र शासित प्रदेश में शीर्ष अधिकारियों के साथ वो कई बैठकें कर चुका है. बीते साल अक्टूबर महीने से वो कश्मीर घाटी का दौरा कर रहा था. गिरफ्तार होने से पहले वह नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब उरी में कमान पोस्ट से होते हुए श्रीनगर के लाल चौक तक पहुंचा था.
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इससे पहले 2020 में अरेस्ट हुआ था फर्जी अधिकारी
बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं है, जब किसी ने खुद को पीएमओ का अधिकारी बताकर ठगी की हो. पहले भी ऐसे मामले आते रहे हैं. साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही एक शातिर ठग को गिरफ्तार किया था. उसने मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपना एक फेक प्रोफाइल बना रखा था.
आरोपी खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय कार्यालय में मुख्य सुरक्षा अधिकारी बताता था. इसका नाम मुदित था. इसने अपनी प्रोफाइल पर लिखा था कि वो कई फैक्टरियों का मालिक है. साथ ही महंगी और लक्सरी कार किराए पर दे रखी हैं. वह बेहद चालाकी से उन तलाकशुदा कामकाजी महिलाओं को टारगेट करता था, जो कम से कम एक लाख रुपये महीना कमाती हों.