उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महत्वकांक्षी बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना में संशोधन के लिए सदन के समक्ष प्रस्ताव रखा जिसे विधानसभा में पारित कर दिया गया. अब बेड एंड ब्रेकफास्ट (Bed and Breakfast Scheme) योजना के तहत मकानों का 90 दिन के बजाय 30 दिन में ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा.
क्या है बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना?
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार की एक महत्वपूर्ण स्कीम है. इस स्कीम के तहत पर्यटक विशेषकर विदेशी पर्यटक भारतीय पारंपरिक परिवार एवं भारतीय संस्कृति का अनुभव करने के उद्देश्य से भारतीय परिवार के साथ उनके घर में रुक सकते हैं.
इस योजना में अधिक से अधिक घरों को शामिल किया जा सके इसके लिए दिल्ली सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया को 90 दिन से घटाकर 30 दिन कर दिया है. साथ ही मकान मालिकों को सर्टिफिकेट लेने दफ्तरों में भी नहीं जाना होगा बल्कि उन्हें ऑनलाइन सर्टिफिकेट उपलब्ध करवा दिया जाएगा.
बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना के तहत ऐसे मकान मालिक आवेदन कर सकते हैं:
1. जिनके यहां एक से छह कमरे तक खाली हों.
2. पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएं मौजूद हों.
3. मकान मालिक का परिवार भी उस घर में रहता हो.
4. मकान गेस्ट हाउस, लॉज या होटल की श्रेणी में न हो.
पर्यटन को कैसे मिलेगा बढ़ावा?
दिल्ली सरकार की इस योजना से न केवल पर्यटकों को फायदा होता है बल्कि ये मेजबानों की आमदनी का साधन भी होता है. कोरोना के बाद पर्यटन क्षेत्र को वापस मजबूत करने के साथ लोगों के रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे. योजना में किए गए बदलाव से ना सिर्फ इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा बल्कि आवेदन करने वालों को फास्ट डिलीवरी भी मिलेगी. अधिक से अधिक लोग आवेदन कर सकते हैं.
अभी तक कितनी सफल?
इस योजना में सुविधाओं की उपलब्धता और उनकी गुणवत्ता के आधार पर कमरों को गोल्ड और सिल्वर नाम से दो श्रेणियों में रखा जाता है. इसका विवरण पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है. पर्यटक वेबसाइट पर मकान मालिक का पूरा विवरण देख सकते हैं. इसके अलावा पर्यटक बिना किसी बिचौलिए के संपर्क में आए सीधे मकान मालिक से संपर्क साध सकते हैं. बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना के तहत अबतक 347 मकानों के 1630 कमरे रजिस्टर्ड हो चुके हैं. सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बदलाव करने के बाद ये संख्या तेज़ी से बढ़ेगी.