दिल्ली में अगले साल एमसीडी का चुनाव है, लेकिन फंड की समस्या ने मौजूदा पार्षदों की टेंशन बढ़ा दी है. वित्तीय संकट से गुजर रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में फंड के अभाव में पार्षद किसी भी नए काम की मंजूरी नहीं दे पा रहे हैं.
अगले साल है एमसीडी का चुनाव
अगले साल एमसीडी का चुनाव है और जनता के पास जाकर वोट मांगने का समय नजदीक आ रहा है. इसके साथ ही पार्षदों की टेंशन भी बढ़ती जा रही है क्योंकि विकास कार्यों की फाइलें पास कराना उनके लिए मुसीबत है.
नहीं मिल पा रहा पार्षदों को फंड
एमसीडी से पार्षदों को एक फंड मिलता है, जिससे पार्षद अपने क्षेत्र में काम करवाते हैं. बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों के लिए ये समस्या तीन सालों से है क्योंकि उन्हें उनका तय फंड नहीं मिल पा रहा है. हालांकि पार्षदों को पिछले साल 25-25 लाख रुपये मिले थे.
ऐसे में नई योजनाओं के लिए निगम के पास फंड की किल्लत है. अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव के चलते किसी पार्षद को अपने क्षेत्र में सामुदायिक भवन बनवाना है या फिर कुछ और, लेकिन फंड की कमी से कोई काम नहीं हो पा रहा है.
AAP सरकार पर पार्षदों का आरोप
एमसीडी का कहना है दिल्ली सरकार एमसीडी को प्लान हेड का पैसा नहीं दे रही है, जिसकी वजह से नए प्रोजेक्ट में समस्या आ रही है. वहीं कई पार्षद तो दिल्ली सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार जानबूझकर निगमों को फंड नहीं देना चाहती है.
फंड के बिना योजनाओं को मंजूरी नहीं
पार्षदों की समस्या ये है निगम की आर्थिक स्थिति से लोगों का कोई सरोकार नहीं है. उन्हें सिर्फ काम चाहिए. ऐसे में लोगों को समझाना मुश्किल हो रहा है. वहीं एमसीडी अधिकारियों का कहना है कि जिन योजनाओं में फंड नहीं है, उन योजनाओं को मंजूरी नहीं दी जा सकती है.
फंड की कमी से जूझ रहे निगम
एमसीडी अधिकारियों के मुताबिक पार्षद दबाव जरूर डालते हैं और चाहते हैं कि कम से कम योजनाओं की शुरुआत कर दी जाए. निगम फंड की कमी से जूझ रहे है, जहां निगम के कर्मचारियों को वेतन देने की चुनौती बनी रहती है. वहीं दिल्ली सरकार एमसीडी पर आरोप लगाती है कि तय से ज्यादा पैसे एमसीडी को दिए जा चुके हैं.